राजस्थान सरकार राज्य में गरीबों का मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। सूबे की सरकार ने दौसा के कई घरों की दीवारों पर लिखवा दिया है कि “मैं अत्यंत गरीब हूं और नेशनल फूड सिक्यूरिटी एक्ट (एनएफएसए) के जरीए राशन लेता/लेती हूं”। ऐसा सरकार ने इसलिए किया है ताकि दौसा में गरीबी रेखा से नीचे आने वाले (बीपीएल) परिवारों का पता लगाया जा सके। इस मामले के सामने आते ही राज्य सरकार विवादों से घिर गई है। इस पर राज्य सरकार का कहना है कि उसे इस प्रकार के किसी भी मामले की जानकारी नहीं और न ही दीवारों पर ऐसा लिखवाने का कोई निर्देश दिया गया है।
सरकार ने विश्वास दिलाया है कि इस मामले की जांच की जाएगी और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य मंत्री राजेंद्र राथौड़ ने कहा कि यह जिसने भी किया है बहुत ही गलत है। दीवारों पर मै गरीब हूं लिखना बहुत ही निंदनीय है। वसुंधरा राजे सरकार द्वारा ऐसा कोई भी निर्देश नहीं दिया गया। इसके साथ ही राथौड़ ने कहा कि बीपीएल परिवारों का पता लगाने के लिए उनके घरों की दीवारों पर ऐसा लिखने का काम कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने किया था। गहलोत सरकार ने 6 अगस्त, 2009 में इस योजना की शुरुआत की थी। तत्कालीन सरकार की इस योजना का कई लोग गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि जो बीपीएल में नहीं आते वे लोग भी एनएफएसए के जरिए राशन ले रहे हैं जबकि कई गरीब परिवार इस योजना से वंचित हैं। इस मामले पर राजनीति करना बहुत ही गलत है।
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले अशोक गहलोत ने अपने ट्विटर हैंडल पर मीडिया द्वारा जारी की गई एक फोटो पोस्ट की थी जिसमें एक पीले रंग की दीवार पर लाल रंग से लिखा था कि “मैं गरीब हूं, मैं एनएफएसए के जरिए राशन लेता हूं”। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य के दौसा जिले के करीब 50 हजार बीपीएल घर ऐसे हैं जिनपर इस प्रकार के अपमानजनक संदेश लिखे हुए हैं। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने अपने घरों की दीवार पर यह संदेश लिखवाने के लिए प्रत्येक परिवार को 750 रुपए देने की पेशकश की। सूत्रों का कहना है इस मामले के तूल पकड़ते ही जिला प्रशासन ने दीवारों से इस संदेश को हटाकर दीवारों पर नया पेंट करने के निर्देश दे दिए हैं।