Friday, March 29, 2024
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राष्‍ट्रपति के सचिव थे गोपालकृष्‍ण गांधी, अब व‍िपक्ष बनाना चाहता है प्रेसिडेंट

SI News Today

देश के नए राष्ट्रपति के लिए जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। विपक्ष प्रमुख राष्ट्रपति दावेदार की तलाश के लिए अपनी जी जान लगा रहा है। विपक्ष चाहता है भले ही केंद्र में उसकी सरकार न हो लेकिन राष्ट्रपति उनका ही बनना चाहिए। सूत्रों से पता चला है कि राष्ट्रपति पद के लिए आम सहमति से पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और पूर्व गवर्नर गोपालकृष्ण गांधी को प्रुमख दावेदार माना जा रहा है। वहीं गांधी का कहना है कि वह इस पद के लिए सही उम्मीदवार नहीं हैं। वह इसकी कल्पना भी नहीं करते हैं। गोपालकृष्ण गांधी कभी राष्ट्रपति के सचिव हुआ करते थे। अब आगे क्या होगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन आपको बता देते हैं कि आखिर गोपालकृष्ण गांधी हैं कौन?

गोपालकृष्ण गांधी महात्मा गांधी के सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी के बेटे हैं। उनका जन्म 22 अप्रैल, 1945 को हुआ था। गांधी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टीफन कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में पोस्ट ग्रेजुएट की थी। गोपालकृष्ण गांधी की शादी तारा गांधी से हुई और उनके दो बच्चे हैं। गांधी साल 1968 से 1992 तक आईएएस अधिकारिक पद पर रहे। इसके बाद उन्होंने स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले लिया था। इस बीच गांधी तमिलनाडु में विभिन्न राजनयिक और प्रशासनिक पदों पर रहे। 1985 से 1987 तक गोपालकृष्ण गांधी सचिव उपाध्यक्ष, 1987 से 1992 तक संयुक्त सचिव से अध्यक्ष और 1997 में अध्यक्ष पद पर रहे।

इसके अलावा गोपालकृष्ण गांधी ने हाई कमीशन ऑफ इंडिया, यूके में मंत्री के तौर पर भी काम किया और इसके साथ ही वे द नेहरु सेंटर, लंदन के निदेशक भी रहे। आउटलुक की एक रिपोर्ट के अनुसार गांधी को सबसे ज्यादा पहचान 1996 में दक्षिण अफ्रीका में हाई कमीशनर पद पर रहने के दौरान मिली। लेसोथो में भारत के लिए गांधी ने हाई कमीश्नर का पदभार भी संभाला था। इसके बाद उन्हें साल 2000 में भारतीय हाई कमीश्नर के तौर पर श्रीलंका में नियुक्त कर दिया गया था। इसके बाद 2002 में गांधी को नोर्वे का भारतीय राजदूत बनाया गया और उन्हें आईसलेंड का भारतीय राजदूत भी बनाया गया था।

2004 में गोपालकृष्ण गांधी को पश्चिम बंगाल का गर्वनर नियुक्त किया गया। वे 2009 तक इस पद पर बने रहे। अपने कार्यकाल में गांधी ने कई महत्वपूर्ण काम किए। आउटलुक मैगजीन की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार गांधी ने भेष बदलकर पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में यात्रा की और नंदीग्राम हिंसा के पीड़ितों का दुख जाना।

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