Thursday, April 18, 2024
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सावरकर को लोकतंत्र विरोधी बताने पर आप नेता हुए ट्रोल

SI News Today

आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने हिंदुत्व के नायक माने जाने वाले सावरकर पर निशाना साधते हुए उन्हें लोकतंत्र का विरोधी और राजशाही की वकालत करने वाला बताया है। आप नेता ने सोशल मीडिया पर इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने ट्विटर और फेसबुक पर अपना यह विचार पोस्ट किया। आशुतोष ने ट्विटर पर लिखा- क्या आप जानते है कि सावरकर नेपाल नरेश को भारत का सम्राट बनाना चाहते थे?। इसके लिए उन्होंने फेसबुक पोस्ट का एक लिंक भी शेयर किया गया है। फेसबुक पोस्ट पर अपनी बात लिखते हुए आशुतोष ने कहा कि उन्होंने कही पढ़ा है कि सावरकर नेपाल नरेश को भारत का सम्राट बनाना चाहते थे? तो उन्हें किस हिसाब से देशभक्त माना जाए। इस सोशल मीडिया पर लोगों ने उनसे कहा कि जहां से भी आप ने यह पढ़ा है, उसका विवरण दें। कुछ लोगों ने इस ट्वीट पर उन पर निशाना भी साधा है।

आशुतोष का फेसबुक पोस्ट
अभी पढ़ रहा था कि हिंदुत्व के नायक माने जाने वाले सावरकर नेपाल नरेश को भारत का सम्राट बनाना चाहते थे ! इसका अर्थ है कि न केवल वो लोकतंत्र विरोधी थे तभी तो वो जनतंत्र की जगह राजशाही की वकालत कर रहे थे, बल्कि वो हमारे प्यारे भारत देश को एक विदेशी को भी सौंप देना चाह रहे थे । अब हमारे मित्र ये तय करे कि सावरकर को किस हिसाब से देशभक्त माना जाये और क्यों उनका चित्र संसद भवन में टंगे ? ज़रा सोचें ! देश का सवाल है।

लोगों ने साधा निशाना
मिस आर्या नाम की यूजर ने लिखा- लगता है ब दोपहर के खाने में भी भांग मिलाना शुरू किया है AAP वालों ने। नवीन राठौड़ नाम के शख्स ने लिखा- आशुतोष फिर भांग के पापड़ कहा लिया। तुम जानते हो गांधी ने तिरंगे पर अशोक चक्र लगाने का विरोध किया था?” गौरव चौधरी ने कहा- बुधु जिन्हा भारत का PM बनना चाहता था लेकिन नेहरू ने नही बनने दिया नतीजा ,पाकिस्तान सावरकर उसे सम्राट बना कर नेपाल को भारत में लाना चाहता था।

कौन थे सावरकर
प्रमुख स्वतंत्रा सेनानियों में एक विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 में हुआ था। सावरकर हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक थे। भारत में अभिनव भारत सोसाइटी नाम का छात्र संगठन और इंग्लैंड में फ्री इंडिया सोसाइटी का गठन किया। साल 1857 की क्रांति पर उन्होंने ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस’ किताब लिखी, जिसमें उन्होंने गुर्रिला वार स्टाइल का उल्लेख किया। इस किताब को ब्रिटिश हुकुमत ने प्रकाशित नहीं होने दिया था। सावरकर को साल 1937 में हिंदू महासभा का अध्यक्ष बनाया गया था।

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