साल 2000 में साबरमती एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किए गए गुलजार अहमद वनी को बरी कर दिया गया है। बाराबंकी कोर्ट ने वानी और एक और दूसरे आरोपी सईद अब्दुल मोबीन को भी बरी कर दिया गया। गुलजार अहमद वानी बीते 16 सालों से जेल में बंद थे। वानी पर हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी होने के आरोप लगे थे। बता दें हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वानी के 16 साल के ट्रायल पर अप्रसन्नता जाहिर की थी और आदेश दिए थे कि अगर कोर्ट विटनेस एक्जामिनेशन पूरा नहीं कर पाता तो उसे नवंबर महीने में बेल मिल जानी चाहिए। वहीं बाराबंकी कोर्ट ने दोनों पर आपराधिक साजिश के कोई सबूत नहीं मिल पाने के बाद रिहा कर दिया। सरकारी वकील राज कुमार वर्मा ने बताया कि केस के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर आरोपी के खिलाफ, आपराधिक साजिश के कोई सबूत पेश कर पाने में नाकाम रहे।
वहीं वर्मा ने यह भी बताया कि कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों को लंबे समय के लिए केद कर देने से उनकी भौतिक आजादी खत्म हो गई और इसने उनका मानसिक और आर्थिक नुकसान भी किया। इसी के मद्देनजर कोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिए हैं कि बरी किए गए दोनों लोगों को उनकी योग्यता के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। वहीं वर्मा ने कहा- “कोर्ट ने यह निर्देश भी दिए हैं कि राज्य सरकार को उचित लगता है तो वे मुआवजे की रकम जांच कर रहे पुलिस अफसर से भी क्लेम कर सकती हैं। इसके अलावा राज्य सरकार को उस पुलिस अफसर के खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश भी दिए गए हैं।”
गौरतलब है 14 अगस्त 2000 में साबरमती एक्सप्रेस में हुए ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने अलिगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अरबी भाषा में पीएचडी की पढ़ाई कर रहे गुलजार अहमद वानी को गिरफ्तार किया था। गुलजार कश्मीर का रहने वाला है। वहीं ब्लास्ट मामले में उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर के रहने वाले अब्दुल मोबीन को भी गिरफ्तार किया गया था।