Navratri 2018 Vrat Katha: चैत्र नवरात्र रविवार 18 मार्च से शुरू हो चुके हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार ही चैत्र नवरात्र से ही नए साल की शुरूआत होती है। साल में चार नवरात्रि होते हैं जिनमें से दो गुप्त नवरात्र होते है। चैत्र और आश्विन नवरात्र को हिंदू धर्म में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन 25 मार्च को होगी। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का ज्यादा महत्व होता है। माना जाता है इस महीने से शुभता और ऊर्जा का आरंभ होता है और ऐसे समय में मां काली की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। साल 2018 में चैत्र नवरात्रि 18 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक रहेंगे। 26 मार्च को नवरात्र का व्रत तोड़ा जाएगा। आइए जानते हैं नवरात्रि की व्रत कथा –
नवरात्र व्रत कथा- एक नगर में एक ब्राह्माण रहता था। वह मां दुर्गा का परम भक्त था। उसकी एक कन्या थी, जिसका नाम सुमति था। वह ब्राह्मण रोजाना पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करता था। सुमति भी प्रतिदिन इस पूजा में भाग लिया करती थी। एक दिन सुमति खेलने चली गई और मां दुर्गा की पूजा में शामिल नहीं हो सकी। यह देख पिता को गुस्सा आ गया औरक्रोधवश उसके पिता ने कहा कि वह उसका विवाह किसी दरिद्र और कोढ़ी से करेगा। पिता की बात सुनकर सुमति दुखी हो गई। अपनी बात के अनुसार ब्राह्माण ने अपनी कन्या का विवाह एक कोढ़ी के साथ कर दिया। सुमति अपने पति के साथ विवाह कर चली गई। जहां उसे पति के घर जाकर बहुत दुखी होना पड़ा। वह पति का घर न होने के कारण उसे वन में घास के आसन पर रात बड़े कष्ट में बितानी पड़ी।
सुमति की इस दशा को देख माता भगवती उसके सामने प्रकट हुईं और सुमति से बोलीं ‘हे कन्या मैं तुमपर प्रसन्न हूं’ मैं तुम्हें कुछ देना चाहती हूं, मांगों क्या मांगती हों। इस पर सुमति ने पूछा आप मुझ पर क्यों प्रसन्न हो। इसके बाद देवी ने बताया- मैं तुम पर पूर्व जन्म के तुम्हारे पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं, तुम पूर्व जन्म में भील की पतिव्रता स्त्री थी। एक दिन तुम्हारे पति भील द्वारा चोरी करने के कारण तुम दोनों को सिपाहियों ने पकड़ कर जेलखाने में कैद कर दिया था। उन लोगों ने तुम्हें और तुम्हारे पति को भोजन भी नहीं दिया था। इस प्रकार नवरात्र के दिनों में तुमने न तो कुछ खाया और न ही जल पिया इसलिए नौ दिन तक नवरात्र व्रत का फल तुम्हें प्राप्त हुआ। इसलिए उस व्रत के प्रभावके कारण मैं तुम्हें नोवांछित वरदान दे रही हूं। इसके बाद कन्या ने पति का कोढ़ दूर करने का वचन मांगा। जिसके बाद माता ने कन्या की यह इच्छा शीघ्र पूरी कर दी। उसके पति का शरीर माता भगवती की कृपा से रोगहीन हो गया।