दिल्ली के रामलीला मैदान में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का अनिश्चितकालीन अनशन जारी है. अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सात साल पहले भी रामलीला मैदान में अनशन शुरू किया था. अन्ना हजारे के उस आंदोलन को देश में काफी समर्थन मिला था, लेकिन इस बार के आंदोलन उतना समर्थन नहीं मिल रहा है.
अनशन के पहले दिन यानी 23 मार्च को जहां 4 से 5 हजार की भीड़ थी, वहीं सोमवार को यह भीड़ 1500 लोगों तक सिमट कर रह गई. इन 1500 लोगों में भी उन लोगों की तादाद ज्यादा है, जो पहले भी अपनी उल-जुलूल मांगों को लेकर चर्चा में आते रहे हैं.
रामलीला मैदान में अन्ना हजारे मुख्यतौर पर तो किसानों की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं, लेकिन उनके इस आंदोलन में तरह-तरह के लोग भी शामिल हो रहे हैं. वैसे लोग जो सालों से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे, वे लोग भी अन्ना के आंदोलन में शामिल हो कर अपनी मांगों के साथ बैठे हुए हैं.
ग्राम सभा की ओर से पारित हुए प्रस्ताव के मुताबिक सभी सरकारी अधिकारियों का गांव में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। यहां तक कि पुलिस कर्मियों और जिला प्रशासन के स्टाफ को भी गांव खाली करने को कहा गया है। रालेगन सिद्धि गांव के लोगों ने कहा है कि यदि गुरुवार(29 मार्च) की रात तक मांगों को लेकर केंद्र की ओर से सकारात्मक फैसला नहीं हुआ तो सौ से अधिक ग्रामीण सामूहिक आत्मदाह करने को मजबूर होंगे।
लगातार सातवें दिन भूख हड़ताल पर बैठने के कारण अन्ना हजारे का शरीर कमजोर हो गया है। वे ब्लड प्रेशर की समस्या से भी जूझ रहे हैं। अन्ना हजारे के एक सहयोगी के मुताबिक भ्रष्टाचार विरोधी अनशन के छह दिनों के अंदर अन्ना का पांच किलो वजन कम हो गया। वहीं ब्लड प्रेशर की भी समस्या से जूझना पड़ रहा है। हजारे की प्रमुख मांगों में केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति और किसानों को फसलों की उचित मूल्य की मांग शामिल है। बता दें कि इससे पहले सोमवार(26 मार्च) को केंद्र सरकार के संदेशवाहक के रूप में महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन रामलीला मैदान पहुंचकर अन्ना हजारे से मुलाकात किए थे। उन्होंने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार उनकी मांगों को पूरा करने को लेकर गंभीर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र के जल संसाधन और चिकित्सा शिक्षा मंत्री महाजन ने बताया कि अन्ना हजार ने 11 प्रमुख मांगें रखीं हैं, जिसमें से सात से आठ मांगों पर सहमति बन गई है।