भारत मे बीते कुछ सालों से देश भक्ति की अजीब सी लहर चली है। जिसमे कुछ सरफिरों की भीड़ सड़कों पर उतरकर देशभक्ति के नाम पर एक खतरनाक खूनी खेल खेलती चली आ रही है। आज के परिवेश में एक वर्ग विशेष जब भी घर से निकलता है तो उसके मन मे एक भय व्याप्त रहता है कि कहीं गलती से उससे कुछ ऐसा न हो जाये जिससे देशभक्तों की भीड़ उसको देशद्रोही समझ कर उसकी जान ही ले डाले। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को देखा जिसमे एक बस पर लगे हरे रंग के झंडे जिसमे चांद तारे का निशान था,उसको कुछ सिरफिरे युवकों ने न सिर्फ उतरवाया बल्कि उसमे सवार तीर्थ यात्रियों से अभद्रता भी की। ईश्वर ने जिस इंसान के खून के रंग को अलग नही किया आज उस इंसान ने खुद को झण्डे के रंगों में लपेट कर अपने को बांट लिया। वायरल वीडियो को देख कर लगता है की यह घटना दिल्ली या हरियाणा या पश्चिमी उत्तरप्रदेश के आसपास की है। जिसमे कुछ सिरफिरे युवक बुजर्गों से अभद्रतापूर्ण व्यहवार करके उस झण्डे को उनसे कुचलने के लिए कहते हैं। अब सोचने वाली बात यह कि देशभक्ति का यह पैमाना कहाँ तक जायज है। क्या बस में सवार यात्री भारतीय नहीं हैं? हमारी यह अंध देशभक्ति जिस तरह के समाज का निर्माण कर रही है यह सोच कर भी रूह कांप जाती है की कहीं हम भारत मे सिरिया और तालिबान के निर्माण में तो नहीं लगें हैं। यह वीडियो एक खबर मात्र नही है यह सच्चाई है जो भारत की संप्रभुता और अखण्डता को पूर्णतया खत्म कर रही है। यह लोकतंत्र पर और भारतीय संविधान पर एक प्रहार है। आज केंद्र में भाजपा सरकार है जो लगातार इस आरोप को झेलती चली आ रही है कि उसकी छवि से इस तरह की घटनाओं को इज़ाफ़ा मिला है। आये दिन सड़कों पर वर्ग विशेष गौकशी के शक में गौरक्षा दल के हाथों मारा जाता है या घायल होता है। बैरहाल सरकार ऐसी किसी घटना को प्रोत्साहित नही करती लेकिन एक वर्ग अपने को धर्म का और देश का ठेकेदार क्यों मानने लगा यह जवाबदेही सरकार की ही होनी चाहिए। आखिर कौन सी ऐसी विचारधारा लोगों के मन मे घर कर गयी कि लोग इस तरह के दरिंदगी पर उतर आए हैं। पिछले कुछ सालों में यही हाल कैराना और सहारनपुर और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कई जिलों का था जहाँ पर एक वर्ग विशेष का आतंक व्याप्त था। और इस तरह की घटनाओं को तब तक नही रोका जा सकेगा जब तक राजनीतिक दल धर्म और जातिवाद के नाम पर लोगों का बांटना बन्द नहीं करेंगें। देश में मायावती,ममता और मुलायम सरीखे नेता जो खुद को वर्गविशेष का हिमायती बता कर वोट मांगते हैं और खुद को सेक्युलर बताने वाले राहुल गांधी भी चुनाव आते ही जनेऊ और टोपी धारण कर लेते हैं ऐसों की नियत की भी पहचान आवश्यक है। खैर राजनीति में किसी का कोई धर्म नहीं होता सारा किस्सा सत्ता का होता है। सरकार चाहे जो भी हो विचारधारा चाहे कैसी भी हो हम संविधान को मानते हैं, जिसकी प्रस्तावना में सम्प्रभुता और अखंडता और एकता पर विशेष जोर दिया गया है जिसकी रक्षा सरकार का परमकर्तव्य है। सरकार को इस तरह की घटना को गंभीरता से लेते हुए इन सिरफिरों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। और एक बात यह कि जिस झण्डे को बस से उतरवाया गया वह कोई पाकिस्तान का झण्डा नहीं है वह इस्लाम का झण्डा है जैसे हिन्दू धर्म की पहचान भगवा झण्डे से होती है। भारत विश्व मे अपनी अलग पहचान रखने वाला मुल्क है यहां गंगा जमुनी तहजीब की हवा बहती है, जो दिनों दिन जात धर्म के नाम पर प्रदूषित हो रही है। और इन अंध देशभक्तों को सर्वप्रथम इस देश की संस्कृति और आत्मा को पहचानने की आवश्यकता है, जिससे वह यह पहचान तो पाएं की कौन सा झण्डा है पाकिस्तान का।।
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