कहते हैं इंसान अपनी हर गलती से कुछ ना कुछ सीखता है, लेकिन कुछ गलतियां जिंदगी भर का दर्द दे जाती हैं. कुछ लोग बचपन की गलतियों से सीखते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. बचपन में अपनी नादनी के कारण अपना एक हाथ खो बैठी पाउलामी पटेल की. पाउलामी पटेल जब 12 साल की तो मछली पकड़ने वाली रॉड से खेलते हुए घायल हो गई थी. पाउलामी जब मछली पकड़ने वाली रॉड से खेल रही थी, तब रॉड खिड़की से बाहर गिर गई.
एक सप्ताह के बाद नहीं रहा सीधा हाथ
खिड़की से बाहर जब रॉड को उठाने के लिए पाउलामी ने हाथ बढ़ाया तो उन्होंने बिजली का तार पकड़ लिया. इस तार को पड़कने के बाद उन्हें 11,000 वोल्ट का झटका लगा. बिजली का झटका लगने के बाद उनके साथ क्या हुआ उन्हें नहीं पता, जब उनकी आंखे खुली तो वह आईसीयू में भर्ती थीं. बिजली का इतना तेज झटका लगने के कारण उनके शरीर में गैंग्रीन फैलने लगा. एक पूरा सप्ताह अस्पताल में भर्ती रहने के बाद गैंग्रीन को फैलने से रोका जा सके इसलिए डॉक्टरों ने उनका सीधा हाथ काट दिया.
दोबारा बचपन की यादों में
इतना सब कुछ हो जाने के बाद उन्हें यह समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिरकार हो क्या रहा है. अस्पताल से जब वह घर पहुंची तो उन्हें एहसास हुआ कि वो दोबारा से एक बच्ची बन गई हैं. कभी मां-पापा तो कभी दोस्त हर वक्त कोई ना कोई हमेशा उनके साथ रहता था,ताकि उन्हें अच्छा लगे. एक पिता वो ढाल है जिसके सहारे बच्चे तूफान और दरिया को भी पार कर जाते हैं. पाउमाली के साथ भी ऐसा ही हुआ, सीधा हाथ ना होने के बाद उन्हें किसी तरह की मानसिक परेशानी ना हो इसलिए उनके पापा ने घर में कुछ नियम बना दिए.
पापा के नियमों और आयुर्वेदा के साथ इलाज के बाद ना सिर्फ नकली हाथों से दोबारा लिखना शुरू किया, बल्कि एक किताब को दोबारा से लिख दिया. खुद अपने हाथों से दरवाजे को बंद करना, लिखना, कपड़े पहनना, खाना सब कुछ ऐसा लगा था मानो नए जीवन में एंट्री मिल गई है.
जो हूं ऐसी ही हूं
एक मीडिया चैनल से बातचीत करते हुए पाउमाली कहती हैं कि पहले वो अपने शरीर को दुपट्टे, लॉन्ग सील्वस के कपड़ों से ढ़ककर चला करती थी. क्योंकि उन्हें डर था कि यह जमाना उनके पैरों और शरीर के दाग ना देख ले लेकिन वक्त के साथ उन्होंने खुद को इस दर्द से उभारा. अब वो जान चुकी थी कि वह जैसी हैं वैसी ही रहेंगी. महज 28 साल की उम्र में 45 सर्जरी कराने और अपना सीधा हाथ खोने उनके मन में किसी का भी खौफ नहीं था.
फीयरलैस और पॉजिटिव
आज पाउमाली अपने पति के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही हैं. एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो ना सिर्फ अपना बिजनेस चला रही हैं बल्कि परिवार को भी संभाल रही हैं. पाउमाली का कहना है कि अब उन्हें अपने शरीर के दागों से शर्म नहीं आती बल्कि गर्व होता है. उनका मानना है कि जब आप अपने मन के अंदर के डर को खत्म करके सकारात्मक विचारों के साथ जिंदगी जिएंगे तभी आगे बढ़ पाएंगे.