प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने सोमवार (12 मार्च) को मिर्जापुर जिले में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का लोकार्पण किया. मैक्रों और उनकी पत्नी ब्रिगिट की प्रधानमंत्री मोदी, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगवानी की. उसके बाद वे छानवे ब्लॉक स्थित दादर कलां के लिए रवाना हुए जहां मोदी और मैक्रों ने उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का लोकार्पण किया.
प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने बटन दबाकर 75 मेगावॉट उत्पादन क्षमता वाले इस सौर ऊर्जा संयंत्र का लोकार्पण किया. विंध्य की पहाड़ियों में बसे दादर कलां गांव के 380 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैले इस विशाल संयंत्र में करीब एक लाख 19 हजार सौर पैनल लगे हैं. इसका निर्माण फ्रांस की कम्पनी ‘एनगी’ द्वारा करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. इस संयंत्र में हर साल 15.6 करोड़ यूनिट और प्रतिमाह एक करोड़ 30 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी. उत्पादित बिजली को मिर्जापुर के जिगना में स्थित उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के बिजली उपकेन्द्र के हवाले किया जाएगा.
इस वक्त भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता करीब 63 गीगावॉट है. देश में वैकल्पिक ऊर्जा संयंत्रों के बढ़ते उपयोग के मद्देनजर सौर उत्पादित बिजली तथा वायु उत्पादित विद्युत की कीमत 2.44 रुपये प्रति यूनिट और 3.46 रुपये प्रति यूनिट के अपने न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है. विशेषज्ञों के मुताबिक अक्षय स्रोतों से मिलने वाली बिजली अपेक्षाकृत सस्ती, भरोसेमंद और पर्यावरण के अनुकूल होती है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार (11 मार्च) को इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) की एक कॉन्फ्रेंस में देश के ऊर्जा भण्डार में इजाफा करने के लिये सौर ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश और अधिक बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि भारत वर्ष 2022 तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 175 गीगावॉट बिजली का उत्पादन करने लगेगा. आईएसए के गठन का मुख्य उद्देश्य दुनिया में एक हजार गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की स्थापना करना और वर्ष 2030 तक सौर बिजली के क्षेत्र में एक ट्रिलियन डॉलर का निवेश हासिल करना है.