जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं, इस पर चल रही बहस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को साथ बैठकर फैसला करने को कहा है। सोमवार को सर्वोच्च अदालत ने दोनों सरकारों से कहा कि वे राज्य में मुसलमानों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने या नहीं दिए जाने के सवाल समेत विवादित मुददों पर बैठकर आपस में बात करें और इस बात पर फैसला लें।
चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एस. के. कौल की पीठ ने दोनों सरकारों से मामला सुलझाने और चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट जमा करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है। आप दोनों एक साथ बैठें और इस पर कोई एक रख अपनाएं।’ न्यायालय ने पिछले महीने इससे संबंधित एक जनहित याचिका के संबंध में अपना जवाब दायर नहीं करने पर केंद्र पर 30 हजार रुपये जुर्माना लगाया था। याचिकाकर्ता अंकुर शर्मा में आरोप लगाया है कि जम्मू-कश्मीर में बहुसंख्यक मुसलमान अल्पसंख्यक के लिए निर्धारित लाभ उठा रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र को अपना जवाब दायर करने के लिए अंतिम अवसर देते हुए कहा था कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है। अंकुर शर्मा जम्मू-कश्मीर में वकील हैं।
अदालत ने केंद्र के वकील को जुर्माना जमा करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दायर करने की अनुमति दी थी। उसने यह भी कहा था कि इसी वजह से पिछली बार भी 15 हजार रुपये जुर्माना लगाया था। इससे पहले अदालत ने इस याचिका के संबंध में केंद्र, राज्य सरकार और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को नोटिस जारी किए थे।