Saturday, October 5, 2024
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नरेंद्र मोदी बोले- ‘अंबेडकर का लोगों ने मजाक उड़ाया और उन्हें पीछे धकेलने की कोशिशें कीं’

SI News Today

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में इस बात पर अफसोस जताया कि बहुत से लोगों ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का मजाक उड़ाया और एक पिछड़े परिवार के बेटे को आगे बढ़ने से रोकने के लिए उनके रास्ते में तमाम तरह की बाधाएं खड़ी की गईं. प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि आज का भारत पूरी तरह एक अलग भारत है क्योंकि यह भारत गरीब और पिछड़े का भारत है. मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया, चरण सिंह और देवी लाल जैसे नेताओं की भूमिका की भी सराहना की जिन्होंने राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलुओं में कृषि और किसान के महत्व को समझा था.

‘आज का भारत अंबेडकर का भारत है’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अंबेडकर ने हमें यह दिखाया था कि सफल होने के लिए यह जरूरी नहीं कि एक व्यक्ति संपन्न और धनी मानी परिवार में ही पैदा हो बल्कि भारत में गरीब परिवारों में जन्म लेने वाले भी सपने देख सकते हैं और सफलता हासिल करते हुए उन सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह स्वयं अंबेडकर के दर्शन का उदाहरण हैं. उन्होंने कहा, ‘‘…बहुत से लोगों ने अंबेडकर का मजाक उड़ाया और उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश की… हर संभव प्रयास किए गए कि एक गरीब और पिछड़े परिवार का बेटा जिंदगी में तरक्की न कर सके… जिंदगी में सफल न हो सके और कहीं कुछ बन न जाए. लेकिन नए भारत की तस्वीर इससे एकदम अलग है. यह वह भारत है जो अंबेडकर का भारत है, गरीब का भारत है, पिछड़े का भारत है.’’

अंबेडकर की जयंती पर चलेगा ग्राम-स्वराज अभियान
उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर की जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल से 5 मई तक ‘ग्राम-स्वराज अभियान’ आयोजित किया जा रहा है. इसके तहत पूरे भारत में ग्राम-विकास, गरीब-कल्याण और सामाजिक-न्याय पर अलग-अलग कार्यक्रम होंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमने शासन के हर पहलू में सहकारी संघवाद और उससे आगे बढ़ कर प्रतिस्पर्धी सहकारी संघवाद के मंत्र को अपनाया है. डॉ. बाबा साहब अंबेडकर पिछड़े वर्ग से जुड़े मुझ जैसे करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं. बाबा साहब ने संघवाद, संघीय-व्यवस्था के महत्व पर बात की और देश के उत्थान के लिए केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर काम करने पर बल दिया.

बाबा साहब को था आत्मनिर्भरता में दृढ़ विश्वास
मोदी ने कहा कि डॉ. बाबा साहब ही थे जिन्होंने जल-शक्ति को राष्ट्र-शक्ति के रूप में देखा. विभिन्न रिवर वैली अथोरिटीज, जल से संबंधित अलग-अलग कमीशन- ये सब बाबा साहब अंबेडकर की ही दृष्टि थी. आज देश में जलमार्ग और बंदरगाहों के लिए ऐतिहासिक प्रयास हो रहे हैं. मोदी ने दावा किया कि आज मुद्रा योजना, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया इनीशिएटिव हमारे युवा इनोवेटर्स, युवा उद्यमी को जन्म दे रही है.

उन्होंने कहा, बाबा साहब का आत्मनिर्भरता में दृढ़ विश्वास था. वे नहीं चाहते थे कि कोई व्यक्ति हमेशा गरीबी में अपना जीवन जीता रहे. बाबा साहब अंबेडकर के विजन को आगे बढ़ाते हुए स्मार्ट सिटी मिशन, अर्बन मिशन की शुरुआत की गई ताकि बड़े नगरों, छोटे शहरों में हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. मोदी ने कहा कि उद्योगों का विकास शहरों में ही संभव होगा यही सोच थी जिसके कारण डॉ. बाबा साहब अंबेडकर ने भारत के शहरीकरण पर भरोसा किया.

नरेंद्र मोदी ने गांधी, लोहिया जैसी हस्तियों को किया याद
किसान कल्याण की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस साल के बजट में किसानों को फसलों की उचित कीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया है ताकि किसानों की मेहनत के अनुरूप बेहतर आय सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने महात्मा गांधी के शब्दों को याद किया जिन्होंने कहा था ‘‘ अगर हमने धरती से नाता तोड़ लिया तो समझो खुद से भी नाता टूट गया .’’

उन्होंने कहा कि शास्त्री ने कृषि के उन्नत ढांचे पर जोर दिया था जबकि लोहिया किसानों की आय में बेहतरी के लिए व्यापक जन जागरण के बारे में बात करते थे. प्रधानमंत्री ने चरण सिंह के 1979 में दिए गए एक भाषण को याद किया जिसमें उन्होंने किसानों से नयी तकनीक अपनाने की अपील करते हुए उसके महत्व को रेखांकित किया था.

किसान कल्याण को लेकर भी बोले पीएम मोदी
इसी क्रम में किसानों के कल्याण के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह तय किया गया है कि अधिसूचित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उनकी लागत का कम-से-कम डेढ़ गुना घोषित की जाएगी. अगर मैं विस्तार से बताऊं तो एमएसपी के लिए जो लागत जोड़ी जाएगी, उसमें दूसरे श्रमिकों का मेहनताना, अपने मवेशी, मशीन या किराए पर लिए गए मवेशी या मशीन का खर्च, बीज का मूल्य, उपयोग की गई हर तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई का खर्च, राज्य सरकार को दिया गया भूमि राजस्व, लगाई गई पूंजी के ऊपर दिया गया ब्याज और अगर जमीन पट्टे पर ली है तो उसका किराया शामिल है.’’

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, किसान जो खुद मेहनत करता है या उसके परिवार में से कोई कृषि-कार्य में श्रम योगदान करता है, उसका मूल्य भी उत्पादन लागत में जोड़ा जाएगा. मोदी ने कहा कि इसके अलावा, किसानों को फसल की उचित कीमत मिले इसके लिए देश में कृषि विपणन सुधार पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है.

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