Wednesday, March 27, 2024
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कवि सम्मेलन में राष्ट्रीय कवि वेदव्रत बाजपेई ने समां बांधा।

SI News Today

हैदरगढ़, बाराबंकी।

नवोदित भारतीय पत्रकार एसोसिएशन हैदरगढ़ द्वारा विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी ब्रह्मनान वार्ड के काली माता मंदिर परिसर में एक विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता डॉ0 राम बहादुर मिश्र ने की मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व विधायक पंडित सुंदरलाल दीक्षित और दरियाबाद विधायक श्री सतीशचंद्र शर्मा थे । प्रसिद्ध गीतकार शिव किशोर तिवारी की वाणी वंदना के पश्चात वयोवृद्ध कवि शत्रुघ्न लाल विद्यार्थी की शब्द प्रकाशित काव्य कृति बरवे बारिधि और वरिष्ठ अवधी कवि इंद्र बहादुर सिंह इंद्रेश रायबरेली की कृति बुढ़उनू चुप्पी साधौ का लोकार्पण नगर पंचायत हैदरगढ़ के अधिशासी अधिकारी डॉ राजेश कुमार ने किया। यह दोनों ही पुस्तकें अवध भारती संस्थान हैदरगढ़ द्वारा प्रकाशित हुई है। डॉ राजेश कुमार ने दोनों ही पुस्तकों के काव्य और शिल्प पर प्रकाश डाला कार्यक्रम के आयोजक राकेश पाठक और विमोचन करता डॉ राजेश कुमार ने मुख्य अतिथि तथा समागत कवियों को संस्था की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

कवि सम्मेलन का शुभारम्भ करते हुए गीतकार शिव किशोर तिवारी खंजन ने अपना गीत पढ़ा-

मिले यदि प्रेम का प्याला जहर भी जाम होता है,
हृदय जो प्रेम में डूबा वह प्रभु का धाम होता है।
है जिनका कार्य उत्तम और उत्तम है घराना,
वही दशरथ का बेटा बनकर पैदा राम होता है।

हरदोई से पधारे ओज कबि श्याम त्रिवेदी पंकज ने अपनी ओजस्वी रचना पढ़ी-

चंदा को बादल ढक ले तम बेहिसाब हो जाता है,
घने कोहरे में जब बेदम आफताब हो जाता है।
ज्योति कलश भी अंधकार का जब पग वंदन करते हो,
कलमो का अक्षर-अक्षर तब इंकलाब हो जाता है।

युवा कवि मनुव्रत बाजपेई राष्ट्रीयता से ओतप्रोत रचना पढ़ते हुए कहा-

कोई मंदिर में जाएं भजन के लिए,
काट देता है आयु कोई धन के लिए।
मेरी ईश्वर से है बस यही प्रार्थना,
जिंदगी हो समर्पित वतन के लिए।

तारिक बहराइची ने भी राष्ट्रीयता से ओतप्रोत रचना पढ़ी-

मेरे खुदाया मै बंदा शहीद हो जाए,
पड़े जो वक्त वतन पर शहीद हो जाऊं।

सामाजिक विसंगतियों पर व्यंग करते हुए अजय प्रधान ने कहा-

बर्फ के विस्तार पर चिंगारी भरी जाती नहीं,
और सुरा चंदन के घर में है भरी जाती नहीं।
वह संतों का बनाए घूमते हैं राक्षस जान कि,
यदि जान लेती तो हरी जाती नहीं।

इंद्र बहादुर सिंह इंद्रेश ने अपनी रचना के माध्यम से हास्य का वातावरण पैदा किया-

तुम्हारे कारण अम्मा बप्पा भैया भौजी से लड़ि डारा, तुम्हारे कारण घर मा हमारे होएगा संपत्ति का बंटवारा।

चेतराम अज्ञानी ने श्रोताओं को हंसाते हुए कहा-

आगरा मा ताजमहल है हैदरगढ़ मा बनवाई मुला वहि की खातिर मुमताज तो बताऊ।

जमुना प्रसाद पांडेय ने मोदी पर केंद्रित रचना सुना कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी-

वाह रे मोदी वाह रे जवान काटि लिहेव तुम सबके कान।

श्रोताओं की विशेष मांग पर फतेहपुर से आए अवधी कवि समीर शुक्ला ने अपनी प्रसिद्ध रचना टिन्निक टिन्निक हर गंगा सुनाकर श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।

मंच की एकमात्र कवित्री लक्ष्मी शुक्ला का श्रंगार गीत काफी सराहा गया-

 

कदम से कदम मिलाकर चले हैं,
कली मेरे दिल की खिला कर चले हैं।
नहीं जानते है वो रस्में मोहब्बत,
वफाओं का भी वह गिलाकर चले हैं।

कवि सम्मेलन को शिखर पर पहुंचाया प्रख्यात ओजस्वी कवि वेदव्रत बाजपेई ने-

कवियों का हुआ विसर्जन होड लगी अधिकारों की,
चर्चाएं तक बंद हो गई देशप्रेम बलिदानों की।

कवि वेदव्रत बाजपेई की रचनाओं को श्रोताओं ने मनोयोगपूर्वक सुना। कवि सम्मेलन में कन्हैया लाल शुक्ला, मुन्ना लाल, विजय कुमार, श्रीप्रकाश, राजू चतुर्वेदी, कमलेश पाठक, अनिल पाठक, शिवचरन, राजेश तिवारी, रूप नारायण पांडे,  नवीन जी महाराज तिवारी, विकास तिवारी,  मनोज कुमार, अशोक मिश्रा,  मुकेश पांडे,  सुशील पाठक,  राम चतुर्वेदी, नरेंद्र कुमार,  राजेश कुमार,  शेखर मिश्रा,  रमेश मौर्य, सत्य प्रकाश पाठक,  संतोष कुमार आज की विशेष भूमिका रही।

संलग्न फोटो -: हैदरगढ़ में काव्य पाठ करते वेदव्रत बाजपेई व पुस्तक का विमोचन करते अधिशासी अधिकारी डॉ राजेश कुमार।

साभार – राजू चतुर्वेदी जी, बाराबंकी ।

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