Thursday, March 28, 2024
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फूलन देवी : जानिये एक आम लड़की से कैसे बनी डकैत

SI News Today

Phoolan Devi : Know the tragic story from a common girl to dacoit.

        

अमूमन किसी भी व्यक्ति के प्रति लोगों की आम राय होती है, किन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन पर सबकी एक राय नहीं होती। उसके समाज में दो पहलू होते हैं, जिनमें एक पहलू उसकी अच्छी छवि प्रदर्शित करता है, तो दूसरी पहलू उसकी नकारात्मक छवि को दिखाता है। उनमें से ही एक नाम है फूलन देवी का जो यह सोंचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर उसके बारे में कहें क्या?

हम बात कर रहें हैं फूलन देवी की जो 1980 के दशक के शुरुआत में चंबल के बीहड़ों में सबसे ख़तरनाक डाकू मानी जाती थीं। फूलन देवी के डकैत बनने की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़ी कर सकती है। तो आइये जानते हैं कि क्या है फूलन के क्रूर स्वभाव के पीछे असली राज?

दरअसल बचपन से ही फूलन देवी को इतना कठोर बन गई थी कि उन्हें बहमई में एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या करने के बाद जरा सा भी दुख नही हुआ। फूलन देवी का जन्म 1963 में उत्तर प्रदेश के एक पूरवा गाँव में हुआ था। जहां वह अपने मां-बाप और बहनों के साथ रहती थी। कानपुर के पास स्थित इस गांव में फूलन के परिवार को मल्लाह होने के चलते ऊंची जातियों के लोग दुतकारते थे।

इसी तरह के दम घुटने वाले माहौल में पलने वाली फूलन के अंदर जब बदले की आग जलने लगी तो उसकी मां ने भी आग में घी डालने का काम किया। 11 वर्ष की उम्र में ही फूलन के चचेरे भाई मायादिन ने उसको गांव से बाहर करने के लिए उसकी शादी पुट्टी लाल नाम के बूढ़े आदमी से करवा दी गई। और फूलन के पति ने शादी के तुरंत बाद ही उसका रेप कर उसे प्रताडित किया तो वह परेशान होकर पति का घर छोड़ अपे मां-बाप के पास आ गई। जिसके बाद वह परिवार के साथ मजदूरी करने लगी। और फिर यहीं शुरु होती है फूलन के विद्रोही स्वभाव का बाहर आना। एक बार तो फूलन देवी के साथ ऐसा हुआ कि जब एक आदमी ने फूलन को मकान बनाने में की गई मजदूरी का मेहनताना नही दिया तो उसने रातों-रात उस आदमी के मकान को कचरे के ढेर में बदल दिया।

दरअसल 15 साल की उम्र में ही जब कुछ दबंगों ने फूलन देवी के घर पर ही उसके मां-बाप के सामने उसके साथ गैंगरेप किया था तब भी उसके तेवर मे कोई भी बदलाव नही हुआ था। इतना ही नही उसके बाद भी गांव के दबंगों ने एक दस्यु गैंग से फूलन का अपहरण करवा दिया था। जिसके बाद से शुरू होती है फूलन के डकैत बनने की कहानी। गौरतलब है कि 14 फ़रवरी 1981 को बहमई में 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी थी। इस घटना के बाद तो फूलन देवी का नाम बच्चों-बच्चों की ज़ुबान पर था। वहीं इस हत्या की पाचे की वजह यह थी कि फूलन देवी का कहना था उन्होंने ये हत्याएं सिर्फ बदला लेने के लिए की थीं क्योंकि ठाकुरों ने उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया था।

जितना फूलन देवी का निशाना अचूक था, उससे भी ज़्यादा उनका दिल कठोर था। उनके जीवन पर अनेक फ़िल्में भी बनीं हैं पर पुलिस का डर उन्हें हमेशा था। चंबल के बीहड़ों में पुलिस और ठाकुरों से बचते-बचते शायद वह थक सी गईं थीं इसलिए उन्होंने हथियार डालने का मन बना लिया। पर आत्मसमर्पण का रास्ता भी इतना आसान कहां था। फूलन देवी को कहीं न कहीं ये डर जरूर था कि यूपी पुलिस उन्हें समर्पण के बाद किसी ना किसी तरीक़े से मार जरूर देगी। इसी कारण फूलन देवी ने मध्य प्रदेश सरकार के सामने हथियार डालने के लिए सौदेबाज़ी कर तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने फूलन देवी ने एक समारोह में हथियार डाले। आपको बता दे कि फूलन देवी को बस एक बार देखने के लिए हज़ारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी।

हालांकि 1994 में जेल से छूटने के बाद वह 1996 में सांसद चुनी गईं। वहीं समाजवादी पार्टी ने उन्हें लोक सभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया तो उस समय यह बोला गया कि एक डाकू को संसद में पहुँचाने का रास्ता दिखाया जा रहा है। दो बार लोकसभा के लिए चुनी जाने वाली फूलन देवी का घर के सामने 2001 में सिर्फ 38 साल की उम्र में ही दिल्ली में हत्या कर दी गई थी।

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