माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को संबोधिद करते हुए कहा कि वे लोग खेतों में पराली को ना जलाएं। प्रधानमंत्री ने किसानों से कहा कि वे पराली (फसल के बचे डंठल, घास-फूस) नहीं जलायें क्योंकि इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और मिट्टी की उर्वरता प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना भारत मां को परेशान करने जैसा है। प्रधानमंत्री शनिवार को दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के मेला ग्रांउड में आयोजित कृषि उन्नति मेला में उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। पीएम मोदी ने कहा कि यह देखा गया है कि पराली को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की सेहत में जबर्दस्त सुधार आता है, खाद की जरूरत कम होती है, पैदावर बढ़ती है, कुल मिलाकर किसान की आय बढ़ती है। पीएम ने कहा कि किसान भाइयों को ये समझना चाहिए कि जिस मिट्टी पर वो लोग आग लगाते हैं वो धरती मां है, उसे आग से जलाना छोड़ दें। पीएम ने कहा कि फसल के अवशेष को जलाने को गलत परंपरा करार दिया। पीएम ने कहा कि आग जलाकर हम भारत मां को परेशान कर रहे हैं।
पीएम ने किसानों को भरोसा दिलाया कि फसलों की लागत में श्रम लागत, मशीनों का किराया, बीज और खाद का मूल्य, राज्य सरकारों को दिये जाने वाले शुल्क, कार्यशील पूंजी पर लगने वाला ब्याज और पट्टे पर ली गई जमीन का किराया आदि शामिल होगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को फसलों पर आने वाली उत्पादन लागत के डेढ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने के लिये काम कर रही है ताकि किसानों की आय बढ़ाई जा सके। किसानों को बढ़े हुये एमएसपी का लाभ दिलाना सुनिश्चित करने के लिये केन्द्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग एमएसपी को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं और माहौल को निराशाजनक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिये समग्र रूप से प्रयास कर रही है और उसका लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के साथ साथ उनके जीवन को आसान बनाना है। प्रधानमंत्री ने आजादी के बाद कृषि क्षेत्र में हासिल सफलता के लिये किसानों की कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज खाद्यान्न, दलहन, फल एवं सब्जियों और दूध का रिकार्ड उत्पादन हो रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं जिनसे किसानों की आय कम हो रही है और उनका नुकसान और खर्च बढ़ रहा है।