Rahul Gandhi's rally, the SDM had 19 terms! Learn...
मध्यप्रदेश के मंदसौर में 6 जून को किसान श्रद्धाजंलि सभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के आने से पहले ही जिले के एसडीएम ने एक 19 कंडीशन की एक नियमावली जारी की है. इस लिस्ट में डीजे के साउंड से लेकर रैली की जगह पर कितने फीट का टेंट लगेगा ये सब बताया गया है. बता दें कि मंदसौर जिले में किसानों पर पुलिस की फायरिंग में मारे गए छह किसानों की शहादत का 6 जून को एक साल पूरा होने जा रहा है. पहली बरसी के मौके पर होने वाली जनसभा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद रहेंगे.
न्यूज एजेंसी ANI पर जारी की कई इस लिस्ट में मल्हारगढ़ के अनुविभागीय अधिकारी ने जारी किया है. रैली के लिए कांग्रेस की तरफ से मांगी गई अनुमति का जिक्र करते हुए उन्हें बताया गया है कि इन 19 शर्तों पर ही उनको रैली की अनुमति दी जा सकती है.
इन 19 शर्तों पर होगी राहुल की रैली
लिस्ट में पहले नंबर पर रैली स्थिल पर 15 बाय 15 फिट का टेंट लगाने की अनुमति दी गई है. डीजे के साउंड को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए उचित शब्दों का ही प्रयोग करने को कहा गया है. लाउड स्पीकर की सीमा को भी तय किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन करने की सलाह दी गई है. ध्वनि विस्तार यंत्र का प्रयोग रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बंद रहेगा. इसी के साथ सुरक्षा कमेटी से लेकर साफ-सफाई तक की बातों का भी खास ख्याल रखने जैसी बातें इस सूची में शामिल हैं.
रैली से पहले कांग्रेस में फूट
किसान श्रद्धाजंलि सभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के आने से पहले ही जिला कांग्रेस की गुटबाजी सामने आ गई है. कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष महेंद्र गुर्जर ने कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह गौतम को प्रदेश की समन्वय समिति में लेने पर विरोध जताया है. इसी के साथ गुर्जर ने अपना इस्तीफा प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को भेजा है. जिला उपाध्यक्ष महेंद्र गुर्जर 2003 और 2008 में मंदसौर विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी रहे हैं. गुर्जर पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के खेमे से आते हैं, वहीं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र सिंह गौतम सिंधिया गुट से हैं.
क्या है किसान गोलीकांड
पिछले साल किसानों ने अपनी फसल का उचित दाम पाने के लिए मंदसौर में प्रदर्शन किया था, प्रदर्शन कर रहे किसानों पर सुरक्षा बलों ने गोली चला दी थी. इस गोलीकांड में छह किसानों की मौत हुई थी. इस आंदोलन की आग ने प्रदेश के कई अन्य हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया था. किसान इतने आक्रोशित थे कि तत्कालीन जिलाधिकारी तक की पिटाई कर दी गई थी.