दिवाली, दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों के दौरान अधिक किराया वसूलने तथा कम मांग वाले समय तथा कम लोकप्रिय मार्ग या बिना पैंट्री वाली ट्रेन सेवा चुनने पर किराये में छूट के रेलवे बोर्ड के कुछ प्रस्ताव हैं. जिन पर वह मांग आधारित किराये के संबंध में विचार कर रहा है.
पिछले सप्ताह वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल और रेलवे बोर्ड ने एयरलाइन की तरह ही मांग आधारित किराया तय करने की जरूरत को रेखांकित किया था.
रेलवे के तीन जोन- पूर्वी, पश्चिमी और पश्चिम-मध्य ने इसको लेकर प्रस्तुति तैयार की है, जिसकी प्रतियां पीटीआई के पास हैं. इसमें मांग आधारित किराया निर्धारण के तरीके बताए गए हैं. रेलवे जोन ने असुविधाजनक समयों (जैसे रात के 12 बजे से तड़के चार बजे और दोपहर एक बजे से पांच बजे) में गंतव्य स्थानों पर पहुंचने वाली ट्रेनों के किराये में यात्रियों को छूट देने की सलाह दी है.
उन्होंने शुरुआती चरण और अंतिम चरण में खाली सीटों के किराए में 10-30 फीसदी छूट देने की सलाह दी है. रेलवे के विभिन्न जोन ने रेलवे को त्योहारी मौसमों और मांग वाले दिनों में अतिरिक्त प्रीमियम शुल्क (10-20 फीसदी) लगाने का भी प्रस्ताव दिया है.
प्रेजेंटेशन में सलाह दी गई है कि सप्ताहांतों और दिवाली, दुर्गा पूजा, छठ और क्रिसमस जैसे मौकों पर अतिरिक्त किराया निर्धारित किया जा सकता है क्योंकि इन मौकों पर यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या अधिक रहती है.
अगर कोई यात्री किसी मार्ग पर अन्य ट्रेनों की तुलना में उच्च गति वाली ट्रेन का चयन करता है तो उसे अतिरिक्त किराया चुकाने को कहा जा सकता है. रेलवे के अलग-अलग जोन ने सलाह दी है कि अतिरिक्त राशि यात्री द्वारा उच्च गति से यात्रा करके बचाए गए प्रति घंटे के हिसाब से तय हो.
उन्होंने रात में चलने वाली ट्रेन, पैंट्री कार की सुविधा वाली ट्रेन पर भी प्रीमियम शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा अलग-अलग बर्थ के लिए भी अलग-अलग किराए का प्रस्ताव दिया है.
रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि मांग आधारित किराया शुरू करने के लिए अंतिम रूपरेखा 31 दिसंबर को तय की जाएगी.