Monday, September 16, 2024
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फेक न्यूज़ पर गाइडलाइंस जारी कर ट्रोल हुईं स्मृति ईरानी, जानिए रिपोर्ट…

SI News Today

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से सोमवार (2 अप्रैल) को फेक न्यूज देने वाले पत्रकारों के खिलाफ कड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, जिसे मंगलवार (3 अप्रैल) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। इस पर अब सोशल मीडिया यूजर्स के एक धड़े द्वारा ईरानी को जमकर ट्रोल किया जा रहा है। लोग फेक डिग्री के मामले को लेकर ईरानी पर ही हमला बोल रहे हैं। एक यूजर ने ट्वीट कर कहा, ”स्मृति ईरानी की भी तो फेक डिग्री है, इनके ऊपर भी कार्रवाई की जाए।” एक अन्य यूजर ने ट्वीट कर कहा, ”ट्रेजडी वाली बात है, फेक न्यूज़ अस्वीकार है, लेकिन फेक डिग्री स्वीकार है।” एक यूजर ने कहा, ”फेक हिन्दू और फेक हिन्दुस्तानी की भी मान्यता रद्द होनी चाहिए।” विपन जैन नाम के यूजर ने कहा, ”तुम लोग डिग्री, जातिवाद, सबूत, दंगे, आंदोलन, धरना इसी में उलझे रहना कभी देश को आगे मत बढ़ने देना।”

ट्विटर पर यूजर्स पीएम मोदी द्वारा ईरानी के फैसले पलटने और उनके द्वारा गाइडलाइन्स जारी करने को लेकर, दोनों ही मामलों में केंद्रीय मंत्री को ट्रोल कर रहे हैं। एक यूजर ने सवाल किया, ”फेक भाषण देने पर क्या होगा मैडम जी।” एक अन्य यूजर ने लिखा, ”फेक भाषण देने पर उसे BJP पार्टी में शामिल कर लिया जाएगा।” हेमेंद्र मालवीय नाम के यूजर ने लिखा, ”नेता अगर जनता के सामने जुमलेबाजी करता है। जुठे भाषण देता है तो मीडिया क्यों उसका प्रसारण करता है। क्या ऐसे फेक नेताओं के भाषणों को भी मीडिया रोकेगा।”

बता दें कि स्मृति ईरानी के मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स में कहा गया था कि फेक न्यूज़ दिखाने वाले पत्रकार की मान्यता रद्द होने कर दी जाएगी। अगर कोई पत्रकार पहली बार फेक न्यूज़ प्रकाशित या प्रसारित करता हुआ पाया जाता है तो छह महीने के लिए उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। जबकि दूसरी पर ऐसा हुआ तो एक साल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। विज्ञप्ति में आगे कहा कि अगर पत्रकार तीसरी बार फर्जी खबरों के प्रसारण या प्रकाशन का दोषी पाया गया तो उसकी मान्यात स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी। हालांकि पीएम मोदी द्वारा इस फैसले को पलट दिया गया। मोदी ने स्मृति ईरानी के मंत्रालय को अपना आदेश वापस लेने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि फर्जी खबर पर कोई भी फैसला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया या एनबीए लेगा।

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