दिल्ली: बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दल 2019 में होने वाले देश के आम चुनावों की तैयारी में लग चुके हैं. बीजेपी की तरफ से जहां अमित शाह विभिन्न राज्यों के दौरे पर वहां के दिग्गज नेताओं से रणनीतिक चर्चा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ बीजेपी विरोधी दलों का एक साझा मोर्चा बनाने की पहल शुरू की है. फिलहाल यह बातचीत बजट सेशन के दौरान मोदी सरकार को घेरने की योजना बनाने को लेकर थी लेकिन इसे 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार को पटखनी देने के लिए उठाया गया एक जरूरी कदम भी बताया जा रहा है.
आपको बता दें कि गुजरात चुनावों में कांग्रेस की बेहतर परफॉर्मेंस के बात यह चर्चा आम है कि कांग्रेसी नेताओं में एक खुशी की लहर नजर आ रही है. गुजरात के परिणामों के बाद कांग्रेस को लगने लगा है कि बेहतर रणनीति और मजबूत चेहरों के दम पर मोदी के चेहरे से टक्कर ली जा सकती है. अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले अहमद पटेल ने भी ऐसी ही बात कही थी कि गुजरात चुनावों ने कांग्रेसियों को सिग्नल दिया है कि बीजेपी को भी हराया जा सकता है.
शरद पवार और सोनिया गांधी के बीच हुई बातचीत
एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘Zee मीडिया’ को बताया कि सोनिया गांधी और शरद पवार के बीच लंबी बातचीत हुई है. बातचीत के दौरान दोनों ही नेताओं में गैर बीजेपी मोर्चे की रूपरेखा तय की गई है. एनसीपी नेता के मुताबिक इसमें अब अन्य दलों से भी बातचीत करके उनको शामिल किया जाएगा.
शरद पवार ने दी अपने नेताओं को खास सलाह
सोनिया गांधी और शरद पवार के बीच हुई इस महत्वपूर्ण बातचीत के बाद शरद पवार ने एनसीपी के सांसदों और पार्टी के अन्य नेताओं से कांग्रेस विरोधी रुख ना अपनाने की सलाह दी है. वहीं दूसरी ओर इस बात की भी चर्चा है कि दोनों नेताओं की बातचीत के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में सीटों के तालमेल का फार्मूला भी तैयार हो रहा है.
अब अन्य राज्य के दलों से होगी बातचीत
सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी के खिलाफ साझा मोर्चा बनाने के लिए अब सोनिया गांधी दूसरे राज्यों में भी गैर बीजेपी दलों से बातचीत शुरू करेंगी. आपको यहां यह बता दें राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान मिलने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि सोनिया गांधी अब राजनीतिक वनवसा पर चली जाएंगी लेकिन उनके इस कदम से तो ऐसा लग रहा है कि अभी कुछ और सालों तक वे राजनीति को अलविदा कहने वाली नहीं हैं.