Friday, March 29, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया CM केजरीवाल ही हैं दिल्ली के बॉस

SI News Today

Supreme Court decides CM Kejriwal is the boss of Delhi

      

जब से अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आए हैं, ये आरोप सुनने को मिलता रहता था कि उपराज्यपाल उन्हें काम करने नहीं दे रहे हैं. केजरीवाल सरकार ACB पर अधिकार, मोहल्ला क्लीनिक और राशन डिलीवरी स्कीम का विवाद LG के साथ चलता चला आ रहा है. इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि दिल्ली में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार बॉस है न कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल.

कोर्ट की टिप्पणियां पांच जजों की संवैधानिक बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं. जबकि दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम, पी. चिदंबरम, राजीव धवन, इंदिरा जयसिंह और शेखर नाफड़े ने बहस की थीऔर दूसरी तरफ से केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए एडिशनल सालिसिटर जनरल मनिंदर सिंह मौजूद थे.

दिल्ली में गवर्नेंस के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट से सिर्फ 3 चीज़ चाहते थे, जो अगर मिल जाएं तो केजरीवाल के मुताबिक नए लेवल पर दिखाई देगी –
1. सलाह- सलाह’ शब्द पर ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार में लड़ाई चली आ रही है. दरअसल संविधान का आर्टिकल 239A है जिसके तहत संविधान में दिल्ली में विधानसभा, मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल की व्यवस्था की गई. इसमें ही एक हिस्सा आर्टिकल 239AA (4) है जिसमे लिखा है कि दिल्ली में उपराज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करेंगे. लेकिन पूरे कानून में कहीं पर भी ये नहीं लिखा कि चुने हुए मुख्यमंत्री की सलाह मानना उपराज्यपाल के लिए बाध्य है या नही.

2. सर्विसेज़- किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार केजरीवाल सरकार को नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके इसको केंद्र सरकार का विषय बताया था. केजरीवाल सरकार का कहना है कि सर्विसेज विभाग को केंद्र ने अपने पास रख लिया जिससे अब अधिकारी या कर्मचारियों पर चुनी हुई सरकार का कंट्रोल खत्म हो गया और वो सरकार की बात ही नहीं मानते जिससे काम प्रभावित रहता है.

3. एन्टी करप्शन ब्रांच- आम आदमी पार्टी के जन्म का आधार ACB में भी LG ने अपनी पसंद के अफसरों को नियुक्त करना शुरू कर दिया जिससे केजरीवाल के पास करप्शन पर कार्रवाई करने का कोई हथियार नहीं रह गया क्यूंकि दिल्ली पुलिस भी केंद्र के अधीन काम करती है.

इन मुद्दों को लेकर दोनों पक्षों कि तीखी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों ने एक तरह से शर्तों के साथ दिल्ली का बॉस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माना है. जजों ने कहा कि LG को दिल्ली सरकार की सलाह से काम करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से उपराज्यपाल को उनका अपना अधिकार इस फैसले में याद दिलाया है.

1. दिल्ली की सरकार जनता की चुनी हुई सरकार है, ये बात उपराज्यपाल को याद रखनी चाहिए.
2. विधानसभा के फैसलों के लिए उपराज्यपाल की सहमति जरूरी नहीं है.
3. उपराज्यपाल की भूमिका राष्ट्रहित का ध्यान रखना है.
4. मंत्रिमंडल के फैसले को उपराज्यपाल अटका नहीं सकते.
5. कैबिनेट के साथ मिलकर दिल्ली के उपराज्यपाल काम करें. उनका काम दिल्ली सरकार के हर फैसले पर रोकटोक करना नहीं है.
6. उपराज्यपाल सिर्फ सरकार को सिर्फ सलाह दे सकते हैं, उसे मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.
7. संविधान का पालन करना सबकी जिम्मेदारी है इसलिए किसी भी कार्य में बढ़ा नहीं डालनी चाहिए.

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