Saturday, April 20, 2024
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जयललिता और करूणानिधि के बीच की कड़वाहट का सच

SI News Today

The truth of bitterness between Jayalalithaa and Karunanidhi

         

मुथुवेल करुणानिधि के दुनिया से अलविदा करने के बाद एक ऐसे युग की समाप्ति हो गयी, जिसमे कभी देश के दो दिग्गज राजनीतिज्ञ की कड़वी दुश्मनी देखने को मिली है. वैसे दो नेताओ के बीच ऐसी दुश्मनी तो आमतौर पर देखने को मिलती है, लेकिन करूणानिधि और जयललिता के बीच की दुश्मनी औरों से बहुत अलग थी. दक्षिण भारत की राजनीति के इन दोनों मजबूत नेताओं ने अपनी राजनीतिक दुश्मनी उस हद ​तक निभाई जैसी बहुत कम देखने को मिलती है, खास कर की दक्षिण भारत की राजनीती में ऐसी दुश्मनी देखना तो मुश्किल है. इन दोनों नेताओं में इतनी दुश्मनी थी कि इन्होने ना कभी एक मंच को साझा किया और ना कभी एक दूसरे के घर डिनर या लंच के बहाने गए.

जयललिता पर लिखी गई एक किताब की लिखिका व राजनितिक विश्लेषक, वसंती का कहना हैं, ”वो सिर्फ़ एक-दूसरे को नापसंद ही नहीं करते थे बल्कि दोनों एक-दूसरे से पूरी तरह नफ़रत करते थे.” वसंती आगे विधानसभा में मार्च 1989 में हुई एक घटना के बारे में बताती हैं. तब जयललिता ने विपक्ष की नेता के तौर पर मुख्यमंत्री करुणानिधि द्वारा उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने का मुद्दा उठाया था.

यह वो वक़्त था करुणानिधि जब बजट पेश कर रहे थे तो जयललिता ने उनके इस्तीफे की मांग की. जिसके बाद विधानसभा में भारी बहस छिड़ गई. सदन के भीतर किसी ने करुणानिधि पर फाइल फेंकी जिससे उनका चश्मा टूट गया. इसकी प्रतिक्रिया में ट्रेजरी बेंच से किसी ने जयललिता की साड़ी खींच दी. जिससे नाराज़ होकर जयललिता ने कहा था कि सदन में मेरे साथ द्रौपदी जैसा व्यवहार किया गया. उन्होंने कसम ली कि वो विधानसभा में कदम तब ही रखेगी जब करूणानिधि सत्ता से बाहर होंगे. यही वजह हैं कि जयललिता करुणानिधि को अपने दुश्मन की तरह देखती थीं. दोनों एक दूसरे से इतनी नफ़रत करते थे कि जब करुणानिधि सत्ता में थे तो उन्होंने जयललिता को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल भिजवाया और जब जयललिता की सत्ता में वापसी हुई तो साल 2015 की जनवरी महीने में आधी रात में करुणानिधि को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ़्तार करवा दिया था.

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