This is the first mosque in the country, which is giving a communal harmony.
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हिन्दू मुसलमान के सांप्रदायिक झगड़े हमारे देश में हमेशा से ही रहे है आज भी हिन्दू मुसलमान के नाम पर नफरत फ़ैलाने की नयी नयी साजिशे रची जा रही है .एक देश दूसरे का दुश्मन बन गया है हिन्दू मुश्लिम के झगड़ों के कारण ही अनेक युद्ध हुए है अनेको मंदिर और मस्जिद टूटे है. लेकिन इन सबसे परे आज असम की एक मस्जिद की कहानी असल हिंदुस्तान की तस्वीर पेश कर रही है, जहां हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई सब बराबर हैं। जहां नफरत के लिए कोई जगह नहीं है। जहाँ कुरान की आयतों के साथ बाइबल गीता और वेदों के मंत्रो का उच्चारण एक गूंजता है।
असम के काचर जिले में स्थित जामा मस्जिद की देश की एक ऐसी मस्जिद है जहां सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल देखने को मिलती है। इस मस्जिद के दूसरे माले पर बनी लाइब्रेरी में लगभग 300 किताबे है जो हिंदू, इस्लाम और ईसाई धर्म से जुड़ी है ये सभी बांग्ला भाषा में हैं। यहां कुरान, इस्लाम धर्म से जुड़ी किताबों के आलावा ईसाई दर्शन, वेद, उपनिषद, रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद का जीवन परिचय समेत रविंद्रनाथ टैगोर व सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास भी मौजूद हैं। मस्जिद के अंदर पढ़ने के लिए कमरा और लाइब्रेरी बहुत ही दुर्लभ (न के बराबर) है, लेकिन यहां दोनों ही चीजें उपलब्ध हैं। मस्जिद के सचिव सबीर अहमद चौधरी जी का कहना है की इसका उद्देश्य लोगों को अन्य धर्म के बारे में शिक्षित करना है।
मस्जिद के सचिव सबीर अहमद चौधरी जी ने बताया कि स्थानीय लोगों की मदद से साल 2012 में मस्जिद के अंदर लाइब्रेरी और पढ़ने के लिए कमरा बनाया गया था। बता दें कि चौधरी सोनाई स्थित MCD कॉलेज में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष हैं। चौधरी जी ने बताया कि इस लाइब्रेरी में प्रत्येक आयु वर्ग और धर्म के लोग आते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बराक घाटी में किसी भी मस्जिद के अंदर लाइब्रेरी नहीं है।