What is the significance of Guru Purnima festival, know …
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आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है. वैसे तो हम सभी हमारे गुरु का आदर सम्मान करते है, लेकिन गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को विशेष सम्मान दिया जाता है. इस दिन हर कोई अपने गुरुओं को विशेष आसन प्रदान कर अपनी श्रद्धानुसार उनका आदर सम्मान करने के साथ उनका पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है. सिख धर्म केवल एक ईश्वर और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन का वास्तविक सत्य मानता है. सिख धर्म की एक प्रचलित कहावत निम्न है.
‘गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पांव, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए’।।
गुरु पूर्णिमा पर सभी गुरुजनो की पूजा का विधान है. गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है. इस विशेष दिन से लेकर चार महीने तक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर अपनी ज्ञान की गंगा को बहाते हैं. देखा जाये तो यह चार महीने मौसम की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ माने जाते है.
जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्व को आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए यह पर्व आदर्श है. व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा अंधविश्वास के आधार पर नहीं बल्कि श्रद्धाभाव से मनाना चाहिए. गुरु का आशीर्वाद सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. सिख धर्म में इस पर्व का महत्व अधिक इस कारण है क्योंकि सिख इतिहास में उनके दस गुरुओं का बेहद महत्व रहा है.