Lohri Puja Vidhi: लोहड़ी का त्योहार मुख्य रुप से सूर्य देवता और अग्नि को समर्पित किया जाता है। यह वह समय होता है जब सूर्य मकर राशि से गुजर कर उत्तर की तरफ रुख करता है। ज्योतिष के अनुसार इस समय सूर्य उत्तरायण बनाता है। वहीं आग को जीवन और स्वास्थ्य से जोड़कर देखा जाता है। लोहड़ी उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है, विशेषकर 13 जनवरी को मनाया जाने वाला ये त्योहार पंजाब से जुड़ा हुआ है। नए साल की शुरुआत में फसल की कटाई और बुवाई के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
लोहड़ी का त्योहार सर्दियों के जाने और बसंत ऋतु के आने का संकेत माना जाता है। लोहड़ी के दिन लकड़ियों और उपलों का ढ़ेर बनाकर अग्नि जलाई जाती है। लोहड़ी के पावन पर्व पर पवित्र अग्नि में रवि फसलों को अर्पित किया जाता है। इसी दौरान फसलें कटकर घर आना शुरु होती हैं। फसल को अग्नि को अर्पित करने के लिए माना जाता है कि इससे सभी देवताओं को फसलों का भोग लग जाता है। सभी लोग पवित्र अग्नि के चारों तरफ नाच और गीत गाकर चक्कर लगाते हैं। ऐसा करके सूर्य और अग्नि को आभार प्रकट किया जाता है जिससे हर साल उनकी फसल पर प्रभु की विशेष कृपा रहे।
लोहड़ी की पवित्र अग्नि में मूंगफली, रेवड़ियां और मक्के के दाने अर्पित किए जाते हैं और उसी का प्रसाद अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और सभी जान-पहचान के लोगों बांटते हैं। सभी लोग एक साथ लोहड़ी का पर्व मनाते हैं। लोहड़ी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजे के बाद का है, इसके बाद कभी भी अग्नि जलाकर पूजा की जा सकती है। अधिकतर लोग अंधेरा होने के बाद ही लोहड़ी की पवित्र अग्नि जलाते हैं और इसके बाद ढोल पर नाचते हैं। इस दिन की तैयारी में बच्चे कई दिन पहले से ही लोहड़ी माई के नाम पर पैसे लेते हैं जिनसे लकड़ी और गोबर के उपले मंगाए जाते हैं।