Tuesday, September 17, 2024
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कहां लगता है माघ माह में विश्व का सबसे बड़ा मेला, जानिए…

SI News Today

हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष माघ माह में इलाहाबाद में संगम के किनारे माघ मेला आयोजित किया जाता है। इस वर्ष माघ मेला 2 जनवरी से 31 जनवरी तक गंगा किनारे लगाया जाएगा। पुराणों के अनुसार माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। माघ को मोक्ष प्रदान करने वाला माह माना जाता है। श्रद्धालुओं के द्वारा इस दिन पवित्र धार्मिक स्थलों पर स्नान, दान और भगवान के नाम का जाप बहुत ही फलदायी माना जाता है। माघ माह का स्नान पौष की पूर्णिमा से लेकर माघ की पूर्णिमा तक चलता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार माघ माह में स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते हैं और उन्हें सुख-सौभाग्य, धन-धान्य और मोक्ष प्रदान करते हैं।

इलाहाबाद में हर साल माघ मेला लगता है, इसे कल्पवास के नाम से भी जाना जाता है। इस मेले में शामिल होने के लिए देश के हर कोने से भक्तगण और श्रद्धालु आते हैं। इलाहाबाद में कल्पवास की परंपरा कई सदियों से चल रही है। ये विश्व का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। हिंदू पुराणों में सृष्टि के सृजनकर्ता भगवान ब्रह्म देव ने इसे तीर्थ राजा यानि तीर्थस्थलों का राजा कहा है। इस स्थान पर ब्रह्मदेव ने गंगा, यमुना और पौराणिक नदी सरस्वती के संगम पर प्राकृष्ठ यज्ञ किया था। हमारे पवित्र धर्मग्रंथों – वेदों और रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्यों और पुराणों में भी इस स्थान को ‘प्रयाग’ कहे जाने के साक्ष्य मिलते हैं। प्रत्येक वर्ष जनवरी-फरवरी माह में यहां पवित्र ‘संगम’ के किनारे विश्व प्रसिद्ध माघ मेला आयोजित होता है, जो प्रत्येक वर्ष जनवरी में मकर संक्रांति को आरंभ होकर फरवरी में महा शिवरात्रि को समाप्त होता है।

माघ मेले में स्नान के लिए कुछ विशेष नियम बताए जाते हैं। माना जाता है कि माघ में मलमास पड़ जाए तो मासोपवास चंद्रायण आदि व्रत मलमास में ही समाप्त करना चाहिए और स्नान दान आदि द्विमास के पूरा होने तक चलता रहता है। ऐसे ही नियम कुंभ के स्नान के समय भी होते हैं। पौष शुक्ल एकादशी से पूर्णमासी से या अमावस्या से माघ स्नान का प्रारंभ किया जाता है। माना जाता है कि प्रयाग में माघ मास के अंदर 3 बार स्नान करने से जो फल मिलता है वो पृथ्वी पर 10 हजार अश्वमेध यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है।

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