Friday, April 19, 2024
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आज ही के दिन जब चेतन शर्मा की आखिरी गेंद पर जावेद मियांदाद ने लगाया था छक्का, आज भी नहीं भूले हैं वो दिन

SI News Today

बात 80 और 90 की दशक की है. तब भारत और पाकिस्तान के मैचों का अपना एक अलग ही क्रेज हुआ करता था. ‘राजनीति’ के कारण भारत और पाकिस्तान टोरंटो और शारजाह जैसे तटस्थ स्थानों पर मैच खेला करते थे. विदेशी जमीन पर होने के बावजूद इन मैचों में बहुत भीड़ आती थी. इन मैचों में से ही 18 अप्रैल 1986 का मैच सर्वाधिक लोकप्रिय है क्योंकि इस मैच में ऐसा कुछ हुआ था जिसकी कल्पना उस जमाने के मैच में कतई भी नहीं की जा सकती थी. तब टी-20 का जमाना नहीं था और वन डे मैचों में भी 220-250 का स्कोर बहुत बड़ा माना जाता था.

उस मैच में भी भारत ने 50 ओवरों मे 245 रन बनाया था. ओपनर्स श्रीकांत (75) और सुनील गावस्कर (92) ने भारत को शानदार शुरुआत दिलाई थी. इसके बाद दिलीप वेंगसरकर ने 50 रन की शानदार पारी खेल भारत के स्कोर को 245 तक पहुंचाया था. यह आस्ट्रेलिया-एशिया कप का फाइनल मैच था और खिताबी मुकाबले के दबाव व उस जमाने के क्रिकेट के हिसाब से बहुत ही चुनौतीपूर्ण स्कोर था. इस दबाव में पाकिस्तान के शुरुआती बल्लेबाज हड़बड़ा गए और पहले तीन विकेट 61 रनों पर ही गंवा दिए. इसके बाद जावेद मियांदाद (116 नाबाद) ने सलीम मलिक और अब्दुल कादिर के साथ छोटे-छोटे साझेदारियां कर के पाकिस्तान को जीत के पास लाया. हालांकि इस दौरान पाकिस्तान ने नियमित अंतराल पर विकेट भी खोए और अंतिम ओवर तक पाकिस्तान ने 241 रन के स्कोर पर 9 विकेट गवां दिए थे. ऐसे में भारतीय कप्तान कपिल देव ने चेतन शर्मा को गेंद थमाई

कपिल देव चाहते तो जुआं खेल सकते थे और 9 ओवर करने वाले रवि शास्त्री को गेंद थमा सकते थे. तेज गेंदबाजों में सिर्फ चेतन शर्मा ही बचे थे. कपिल देव और मदन लाल ने अपने कोटे के 10-10 ओवर कर लिए थे. रवि शास्त्री ने हालांकि किफायती गेंदबाजी की थी और 9 ओवर में सिर्फ 38 रन दिए थे. लेकिन एक स्पिनर को आखिरी ओवर देना कहीं से भी समझदारी भरा फैसला नहीं कहा जाता इसलिए कपिल ने कोई भी रिस्क न लेते हुए तेज गेंदबाज चेतन शर्मा को गेंद थमाई जो पहले ही महंगे साबित हो चुके थे. उन्होंने 6 रन के औसत से रन दिया था. हालांकि शर्मा सफल भी हुए थे और 3 विकेट लिए थे. बहरहाल पाकिस्तान को आखिरी ओवर की आखिरी गेंद पर जीत के लिए 4 रनों की जरूरत थी. शर्मा ने यॉर्कर डालने की कोशिश की लेकिन गेंद फुलटॉस चली गई. जावेद मियांदाद ने भी इस मौके को नहीं गवांते हुए गेंद को मिड विकेट से बाहर 6 रनों के लिए पहुंचा दिया. इस तरह इतिहास रचा जा चुका था. इसके बाद कई बार ऐसे रोमांचक मैच हुए और आखिरी गेंद पर छक्का रहा लेकिन जावेद मियांदाद का यह छक्का अपने आप में अनोखा व अकेला है. पिछले महीने निदहास कप के फाइनल के दौरान जब दिनेश कार्तिक ने आखिरी गेंद पर छक्का मारकर ऐतिहासिक जीत दिलाई थी तो मियांदाद ने कहा था कि तब और अब के क्रिकेट में बहुत अंतर है. इसलिए मेरे छक्के से इसकी तुलना ना ही की जाए. वहीं गेंदबाज चेतन शर्मा के लिए तो यह एक दुःस्वप्न की तरह था. वह अब भी कई इंटरव्यू में कहते हुए दिखते हैं कि मैं उस छक्के को अब भी नहीं भूला पाया हूं.

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