Thursday, March 28, 2024
featuredबिहार

बिहार: बालू-गिट्टी की किल्लत से 4 महीने से ठप है निर्माण कार्य…

SI News Today

समस्त बिहार में बालू-गिट्टी के लिए मचे हाहाकार को लेकर राजद के बिहार बंद का असर भागलपुर और आसपास के इलाकों में भी रहा। सड़कों पर वाहन अन्य दिनों की तुलना में कम चले। सड़कों पर जुलूस की शक्ल में निकला राजद कार्यकर्ताओं का काफिला दुकानें बंद करने की अपील करते देखा गया। पुलिस भी चाक चौबंद थी। आईजी सुशील खोपड़े खुद समस्त घटनाक्रम पर नजर रखे हुए थे। उनके मुताबिक, तोड़फोड़ से जुड़ी एक एफआईआर दर्ज की गई है लेकिन किसी की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है। दरअसल सरकार की कई दफा बदली गई खनन नीतियों की वजह से बिहार में बीते चार महीने से निर्माण के काम लगभग बंद हो गए हैं। हजारों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। वहीं, बिहार सरकार ने पहली दिसंबर से सरकारी और सस्ती कीमत पर बालू-गिट्टी आपूर्ति का दावा किया था, जो बेमतलब साबित हुआ।

नाम न छापने की शर्त पर एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि राजद के बंद को देखकर सरकार ने बुधवार को पुरानी खनन नीति के तहत बालू-गिट्टी बिक्री का फैसला लिया है। हालांकि इसको भी पटरी पर लाने में एक महीना लग जाएगा। नई नीति के तहत खान व भूतत्व विभाग ने अखबारों में इश्तहार देकर बालू-गिट्टी की आपूर्ति के लिए तीन तरह के रास्ते सुझाए थे। पहला वेबसाइट के जरिए ऑर्डर करके, दूसरा कंट्रोल रूम के बेस टेलीफोन नंबर पर फोन करके और तीसरा खुदरा लाइसेंस धारक से संपर्क करके। वहीं, जिनके निर्माण बालू-गिट्टी के बगैर ठप्प पड़े हैं, उनमें से भागलपुर के गोपाल शर्मा, उज्ज्वल वर्मा और हरि प्रसाद शर्मा भी हैं। उनसे बातचीत में पता चला कि वेबसाइट काम तो कर रही है। ऑर्डर कर देने पर ऑर्डर नंबर भी जेनरेट हो रहा है। मगर इसकी आपूर्ति कब होगी? इसका कोई समय तय नहीं है।

मिसाल के तौर पर ऑर्डर संख्या 00201702125911287 है। इस ऑर्डर संख्या से 2 दिसंबर को बालू के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया गया था। लेकिन 20 दिन गुजर जाने पर भी आपूर्ति नहीं हुई है। जबकि पहली दिसंबर से सब कुछ ठीक हो जाने का दावा किया गया था। दूसरे सिस्टम का फोन ही नहीं लगता है ओर तीसरे सिस्टम ‘खुदरा लाइसेंस’ देने की प्रक्रिया पर ही आवेदकों ने सवाल खड़े कर रहे हैं। भागलपुर के डीडीसी आंनद शर्मा को इस बाबत ज्ञापन सौंपा गया है, जिस पर सुनील कुमार आजाद, रवि कुमार, राजेश कुमार, उपेंद्र दास, राकेश कुमार सिंह वगैरह का दस्तखत हैं। साथ ही नूरपुर के मुखिया प्रतिनिधि सुमन कुमार सुधांशु ने अनियमितता के खिलाफ आयुक्त से मिल जांच कराने का आग्रह किया है।

दरअसल, भागलपुर जिले में 171 दरखास्त में केवल 61 मंजूर कर लाइसेंस देने पर यह विवाद पैदा हुआ है। इसके कुछ समय बाद यह प्रक्रिया रद्द कर लाटरी सिस्टम के जरिए 71 लोगों को खुदरा लाइसेंस दिया गया। यह हाल पूरे सूबे का है। मालूम हो कि जिन्हें लाइसेंस दिए गए हैं, उन्हें बालू-गिट्टी ही नहीं मिला है। लोगों को बालू-गिट्टी सिस्टम से ऑर्डर देने के बाद भी न मिलने की शिकायत पटना डिपो कंट्रोल रूम से की गई। वहां फोन रिसीव करने वाले ने अपना नाम अमित कुमार बताया। उनके मुताबिक, पूरे बिहार से इस संदर्भ में हजारों शिकायतें आ चुकी हैं, जिसे अधिकारियों के सामने पेश किया गया है। इसी के मद्देनजर सूबे में बालू-गिट्टी के 105 खुदरा लाइसेंस धारकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कैफियत पूछी गई है। निगम के महाप्रबंधक राजेश कुमार ने लापरवाही बरतने वाले इन लाइसेंस धारकों को नोटिस भेजा है। उन्होंने जबाव के लिए चार दिन का वक्त दिया है। इन डीलरों पर आरोप है कि ऑर्डर मिलने के बाद भी बालू-गिट्टी आपूर्ति नहीं की।

सूत्रों के मुताबिक, इनके लाइसेंस रद्द कर इनकी जमा बैंक गारंटी की रकम जब्त की जा सकती है। लाइसेंस देते वक्त इनसे हुए इकरारनामे में भी यह बात लिखी गई है। गौरतलब है कि शुक्रवार पहली दिसंबर से घाटों से बालू का उठाव मजिस्ट्रेट की निगरानी में होना था। इसके लिए मजिस्ट्रेट तैनात किए जाने की बात प्रशासन स्तर पर कही गई थी। मगर हकीकत से इसका कोई वास्ता नजर नहीं आया। नतीजतन बालू-गिट्टी की घोर किल्लत और दिक्कत हो गई है। यह हालत बीते कई महीने से बरकरार है। ध्यान रहे कि बिहार सरकार के खान व भूतत्व विभाग के नए कानून को बीते 28 नवंबर को पटना हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए रोक लगा दी थी। इसके बाद खुदरा लाइसेंस देने में सरकार ने 1972 में बने नियम को आधार बनाया। हालांकि राज्य सरकार हाईकोर्ट की रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई, जहां बिहार सरकार को झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि सुनवाई पटना हाईकोर्ट ही करेगी।

जाहिर है सूबे में ठप्प हुए निर्माण कामों और दिहाड़ी मजदूरों को इन सब पचड़ों से कोई लेना-देना नहीं है। इनके सामने तो दो जून की रोटी की समस्या पैदा हो गई है। राजमिस्त्री का काम करने वाले सुखाडी राम, चुलाई राम, भैरो पंडित, रामधनी मंडल, सुरेंद्र पासवान सरीखे बताते हैं कि बीते 4 महीने से मजदूरी बंद है। खाने के लाले पड़े हैं। यह मुद्दा बिहार विधान सभा के शीतकालीन सत्र में भी उठ चुका है। इसे लेकर विरोधी तो क्या सत्तापक्ष के सदस्यों ने ही सरकार को सदन में घेरा। यहां तक कि सदस्यों ने कहा कि दारू और बालू के अंतर को सरकार समझने की कोशिश करे। यह बात मीडिया में भी आई। सरकार की अपनी जिद की वजह से यह हालात पैदा हुए हैं। खान मंत्री विनोद सिंह ने सदन में भी कहा था कि पहली दिसंबर के बाद बालू का संकट नहीं रहेगा। पर यह अबतक हकीकत से उनकी बात परे है। इन्हीं सब कारणों से यह राजद के लिए राजनीतिक मुद्दा बन गया है।

SI News Today

Leave a Reply