बिहार की राजनीति में अंदरखाने बड़ी हलचल चल रही है। अररिया लोकसभा और जहानाबाद-कैमूर विधानसभा उप चुनावों के बाद रामनवमी से पहले और बाद में राज्य में फैले साम्प्रदायिक तनाव की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब एनडीए में गैर बीजेपी दलों के नेता गर्मजोशी से मिले हों। लोजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर 14 अप्रैल को पटना में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया है। उधर, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने भी पटना आकर पिछले एक पखवाड़े में दो बार नीतीश कुमार से मुलाकात की है। बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इन नेताओं का मिलना महज संयोग नहीं हो सकता बल्कि अंदरखाने सियासी खिचड़ी पक रही है।
बता दें कि दो दिन पहले ही रामविलास पासवान ने एनडीए के सबसे बड़े घटक दल बीजेपी को दलित और मुस्लिम विरोधी छवि से बाहर आने की नसीहत दी है, वहीं नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि अगर वो भ्रष्टाचार से समझौता नहीं कर सकते हैं तो सामाजिक सद्भाव से क्यों करेंगे? उन्होंने बीजेपी नेताओं द्वारा दिए जा रहे आपत्तिजनक बयानों पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। यानी एनडीए में शामिल इन दोनों दलों (जेडीयू और एलजेपी) को राज्य में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने से अपने सियासी वजूद पर खतरा मंडराता दिख रहा है। यहां यह बात गौर करने वाली है कि मुस्लिम समुदाय में इन दोनो दलों की अच्छी पैठ रही है लेकिन राज्य में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ने से इनका वोट बैंक राजद की ओर खिसक सकता है। हाल ही में जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने भी कहा कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता और सुशासन से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं कर सकते।
भागलपुर में फैले साम्प्रदायिक तनाव और बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे के नामजद होने और गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद भी सरेंडर नहीं करने और मंत्री पिता द्वारा एफआईआर को कूड़ा बताए जाने से भी नीतीश कुमार नाराज बताए जाते हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय द्वारा अररिया उप चुनाव में दिया गया बयान कि राजद उम्मीदवार की जीत से अररिया आईएसआई का अड्डा बन जाएगा, से भी नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहे हैं। दरभंगा में भी गिरिराज सिंह द्वारा भीड़ को उकसाने और जबरन एक जमीन विवाद को साम्प्रदायिक रंग देने से जेडीयू अध्यक्ष असहज महसूस कर रहे हैं।
रामनवमी के बाद राज्य के करीब 10 जिलों में दंगे भड़के हैं। इनमें से अधिकांश जगहों पर भाजपा और उसके समर्थित संगठनों के लोगों का हाथ बताया जा रहा है। इससे देशभर में नीतीश कुमार की किरकिरी हो रही है। विपक्ष समेत सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार के सुशासन राज को भगवा राज में बदलने और नीतीश द्वारा बीजेपी के सामने सरेंडर कर दिए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। ऐसे में इन गैर बीजेपी एनडीए दलों के नेताओं के मिलने से राज्य में गैर भाजपा, गैर राजद एक नए गठबंधन की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। बता दें कि कुछ दिनों पहले नीतीश कुमार से राजद के बागी सांसद और जन अधिकार पार्टी के संरक्षक पप्पू यादव भी मुलाकात कर चुके हैं। जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ का भी एक धड़ा नीतीश कुमार के जेडीयू में मिल चुका है।