आम आदमी पार्टी (आप) सरकार चौतरफा संकट से घिरी नजर आ रही है। एक के बाद एक कई चुनावों में हार से पार्टी पहले ही बेहद कमजोर हो चुकी थी, उस पर पूर्व मंत्री कपिल मिश्र के भ्रष्टाचार के आरोप ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की नींद उड़ा दी है। नौकरशाही पहले से ही केजरीवाल की टीम से नाराज चल रही है और अब पार्टी के विवाद व भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद अफसरों ने सरकार को गंभीरता से लेना भी कम कर दिया है। केजरीवाल के प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार की दुर्गति होने के बाद एसएस यादव जैसे दूसरे चहेते अधिकारी दिल्ली सरकार से विदा हो गए और जो सरकार में बने हुए हैं, वे भी राजनिवास (उपराज्यपाल कार्यालय) का भय दिखा कर सारे काम नियमानुसार कर रहे हैं। मौजूदा मुख्य सचिव एमएम कुट्टी इसके लिए खासे चर्चित रहे हैं। हालात इतने बदतर होने के बावजूद सारे विवाद पर केजरीवाल चुप्पी साधे बैठे हैं। अब तो दिल्ली सरकार के कई अधिकारी भी कहने लगे हैं कि इस बार तो सरकार का बचना कठिन लग रहा है। कपिल मिश्र मंत्रिमंडल से हटाए जाने तक या यूं कहें कि मुख्यमंत्री पर अपने एक सहयोगी से दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाने से पहले तक केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बेहद करीबी थे। आंदोलन के वक्त से ही आप से जुड़े रहे कपिल सरकार की हर बात बारीकी से जानते हैं। चार दिन से जारी उनके अनशन के बाद शनिवार को जवाबी अनशन के लिए बुराड़ी के विधायक संजीव झा के सामने आने के बाद कपिल ने उन्हें बताया कि जिस तरह उन्हें केजरीवाल पर लगाए गए आरोप बुरे लग रहे हैं उसी तरह से उन्हें भी पहले ये आरोप झूठे लगते थे, लेकिन केजरीवाल को अपनी आंखों से दो करोड़ रुपए लेते देखने के बाद उन्हें भारी झटका लगा और तभी उन्होंने विरोध का फैसला किया। दो करोड़ की रिश्वत के अलावा रिश्तेदारों को गैर-कानूनी लाभ पहुंचाने से लेकर चंदे के पैसों से की गई विदेश यात्राएं और उन यात्राओं के एजंडे ने उनके विश्वास को पूरी तरह तोड़ दिया है। कपिल ने कहा कि वैसे उन्हें इस बात का पछतावा रहेगा कि उनके खुलासे के कारण केजरीवाल के साढ़ू की मौत हुई। अब तो जांच में भी यह तथ्य सामने आने लगे हैं कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) में भारी भ्रष्टाचार हुआ है व फर्जी बिलों के भुगतान हुए हैं। दिल्ली सरकार के कई अधिकारियों ने लिख कर दिया है कि उनसे जबरन बिल पास करवाए गए।
यह संकट इसलिए भी बड़ा है कि जिस अरविंद केजरीवाल के नाम पर आप को वोट मिलते हैं, वही भ्रष्टाचार के आरोप में घिर गए हैं। केजरीवाल के करीबियों में भले ही बड़े-बड़े नाम लिए जाते हों, लेकिन मनीष सिसोदिया के बाद उनके सबसे करीबी सत्येंद्र जैन और जितेंद्र तोमर हैं, तभी तो भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बावजूद जितेंद्र तोमर और सत्येंद्र जैन का हरसंभव बचाव किया गया, जबकि इससे पहले पार्टी के ही एक स्टिंग आॅपरेशन के बाद भ्रष्टाचार के आरोप में असीम अहमद खान और संदीप कुमार को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। तोमर मंत्रीपद से तब हटे जब अदालत ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया, फिर भी उनको पार्टी से नहीं हटाया गया। वहीं सत्येंद्र जैन के मामले में तो पार्टी ने सारी सीमाएं लांघ दीं। चाहे उनकी बेटी और रिश्तेदार की नियम के खिलाफ नियुक्त हो या हवाला का मामला, सीबीआइ के छापे में न केवल उनका बचाव किया गया बल्कि हर बार उनके विभागों में बढ़ोतरी भी की गई। वहीं बगावत पर उतरे कपिल मिश्र ने रविवार को एक और खुलासा करने की घोषणा की है। उस खुलासे की तपिश को कम करने के लिए बुराड़ी के आप विधायक संजीव झा ने भी अनशन शुरू कर दिया है। पहले कपिल को भाजपा का एजंट कह कर प्रचारित किया जा रहा था। जिस आयोजन में कपिल को प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथबैठा दिखाया गया था, वह कुमार विश्वास के पिता के जन्मदिन का कार्यक्रम था और उसमें केजरीवाल व सिसोदिया समेत आप के सभी बड़े नेता शामिल हुए थे।
अब सवाल यह है कि आप सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे कपिल मिश्र का अनशन कैसे खत्म होगा क्योंकि जो आरोप उन्होंने लगाए हैं उसकी जांच के नतीजे आने में तो समय लगेगा। और अगर सिर्फ आरोप लगने भर से केजरीवाल को इस्तीफा देना होता तो वे पहले ही दे चुके होते। हालांकि इतना जरूर है कि इस बार का संकट न तो पहले जैसा है और न ही केवल कुछ आरोप भर का है। सवा दो साल की सरकार में पहली बार केजरीवाल चारों तरफ से घिर गए हैं, उनके लिए इस संकट से निकलना आसान नहीं होगा।