फर्जी कारोबारियों व कंपनियों के नाम पर पाकिस्तान से करोड़ों रुपए कश्मीर लाए गए। हवाला के जरिए धन लाने के रैकेट से दिल्ली के कई हवाला कारोबारियों के जुड़े होने के सबूत मिले हैं। अलगावादियों ने इस तरह के धन का इस्तेमाल विध्वंसमूलक कार्रवाइयों में किया। राष्ट्रीय जांच एजंसी ने सोमवार से कश्मीर के तीन अलगाववादी नेताओं से पूछताछ की। इन तीनों के बैंक खातों और संपत्ति के कागजात और अन्य दस्तावेजों की जांच भी शुरू की गई है। एनआइए की प्राथमिक पूछताछ में कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिए हो रही फंडिंग के बारे में अहम जानकारियां सामने आई हैं। हुर्रियत कांफ्रेंस के फारुक डार उर्फ ‘बिट्टा कराटे’, नईम खान और तहरीक-ए-हुर्रियत के जावेद अहमद बाबा उर्फ ‘गाजी’ पूछताछ के लिए एनआइए के दफ्तर में पेश हुए। डार, अहमद और खान से बैंक और संपत्ति के कुछ दस्तावेज और अन्य कागजात लाने के लिए कहा गया था। तीनों को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की जा रही है। तीनों ने शुरुआती दौर में जो राज उगले हैं, उसके अनुसार 2008 से 2016 के बीच कुछ कारोबारी कंपनियों के जरिए पुंछ और उड़ी के रास्ते व्यापार के नाम पर 1550 करोड़ रुपए कश्मीर बाकी पेज 8 पर लाए गए। जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों के वित्तपोषण में हवाला के जरिए पैसा पहुंचाने के सूबत मिले हैं। अलगाववादियों के हवाला से वित्तपोषण के तार पुरानी दिल्ली में बल्लीमारन और चांदनी चौक से संचालित हवाला आॅपरेटरों से जुड़े होने का खुलासा हुआ है।
अलगाववादियों के तार हवाला कारोबारियों से जुड़े होने की पुष्टि के लिए एनआइए की पांच सदस्यीय टीम ने जम्मू कश्मीर के श्रीनगर सहित अन्य शहरों से अहम सबूत जुटाए। अलगाववादी गुटों को पाकिस्तान से हवाला के जरिए भेजी गई वित्तीय मदद सऊदी अरब, बांग्लादेश और श्रीलंका के रास्ते दिल्ली के हवाला आॅपरेटरों तक भेजे जाने का पता चला है। दिल्ली से यह राशि पंजाब और हिमाचल प्रदेश के हवाला आॅपरेटरों के जरिए जम्मू कश्मीर भेजी जाती थी। जम्मू इलाके से चुन कर आने वाले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पुष्टि की है कि कश्मीर में अलगाववादियों को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान की धरती से फंडिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अब इस बारे में निर्णायक फैसला लेने जा रही है। एनआइए की पूछताछ में स्थानीय चार दर्जन कारोबारियों के नाम सामने आए हैं, जिनकी मिल्कियत वाली कंपनियों के नाम पर धन लाया गया। दो दर्जन फर्जी कंपनियों के नाम भी सामने आए हैं। अगले चरण में उनमें से कई कश्मीरी कारोबारियों को दिल्ली तलब किया जा सकता है। इनमें से अधिकांश व्यापारी पाकिस्तानी कारोबारियों से दुबई और पेरिस में मुलाकात करते थे और धन भेजने की योजनाएं बनाते थे। व्यापार की आड़ में हुर्रियत के नेताओं और हिज्बुल के आतंकवादियों को धन पहुंचाया गया। पाकिस्तान में सीमा पार से इस तंत्र की देखरेख के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ ने अपने एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर को काम में लगा रखा है।