मुंबई में पंजिकृत एक टेक्सटाइल ट्रेडिंग कंपनी, जिसका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपए या उससे कम का था, अचानक सक्रिय हो गई। कंपनी ने राज्य के बाहर विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बेचना शुरू कर दिया। माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक कंपनी का टर्नओवर 50 करोड़ रुपए हो जाएगा। अप्रत्यक्ष कर अधिकारियों का मानना है कि यह उन कई शेल कंपनियों में से एक है, जिनका इस्तेमाल जीएसटी को फेल करने के लिए किया जा रहा है। पुरानी कंपनियों में अचानक आई सक्रियता पर कर अधिकारियों ने नजर रखी हुई है। खबर के मुताबिक, मुंबई के एक टैक्स ऑफिसर ने कहा, “कई निष्क्रिय कंपनियां अचानक से सक्रिय हो गई हैं और ऐसे सामान भी बेच रही हैं जिनसे उनका पहले कोई संबंध नहीं था। कई मामलों में लग रहा है कि इन कंपनियों को जानबूझकर किसी प्रमुख व्यापार क्षेत्रों में पंजीकृत किया जा रहा है।”
रिपोर्ट के मुताबिक कई कंपनियां, खासकर ऐसी जिनका टर्नओवर 50 करोड़ से 200 करोड़ के बीच है, जीएसटी का फायदा उठाने के लिए शेल कंपनियां बना रही हैं। इन शेल कंपनियों का उपयोग अंतरराज्यीय लेनदेन में क्रेडिट लेने के लिए किया जाएगा और इनपुट क्रेडिट जमा किया जाएगा, ताकि एक साल बाद टैक्स ऑडिट से पहले इन्हें बंद कर दिया जाए। इस तरह की कुछ ट्रिक्स हैं जिनका इस्तेमाल किया जा रहा है। इस मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि उदाहरण के तौर पर, एक आर्टिफिशियल ज्वैलरी मेकर पहले शेल कंपनी के जरिए राज्य के बाहर बिक्री करेगा और सरकार से 18 फीसदी जीएसटी क्लेम करेगा। प्रोमोटर्स की योजना है कि कुछ ट्रांजेक्शन के बाद वो जीएसटी देना बंद कर देंगे।
एक टैक्स विशेषज्ञ ने कहा, ‘मुंबई की कोई कंपनी 28 फीसदी जीएसटी रेट वाला माल नई दिल्ली की किसी कंपनी के पास भेजेगी, लेकिन इनवॉइस में दिखाया जाएगा कि अनाज भेजा जा रहा है, जिस पर 5% जीएसटी लगेगा। उधर नई दिल्ली वाली खरीदार गुड्स की बिक्री कभी दिखाएगी ही नहीं और कभी जीएसटी नहीं चुकाएगी।’