नई दिल्ली: जेएनयू स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन के लिए वोटिंग जारी है। स्टूडेंट अपना प्रेसिडेंट चुनने के लिए शुक्रवार सुबह से ही पोलिंग बूथ पर कतारों में खड़े दिखे। जेएनयू में एबीवीपी, एआईएसएफ और आइसा-एसएफआई-डीएसएफ के बीच कड़े मुकाबले की संभावना है। दूसरी ओर, बीएसपी और एनएसयूआई मिलकर एबीवीपी और यूनाइटेड लेफ्ट के कैंडिडेट्स के वोटों में सेंध लगा सकते हैं। यहां करीब 1200 वोटों पर एबीवीपी का दबदबा है। इलेक्शन के नतीजे 11 सितंबर को आएंगे। इससे पहले जेएनयू के गंगा ढाबे में बुधवार रात 9 बजे से शुरू हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट सुबह 4 बजे तक चली।आज ही होगी वोटों की गिनती…
– चीफ इलेक्शन कमिशनर (CEC) भगत सिंह ने बताया कि हर बार की तरह बैलेट पेपर से ही चुनाव कराए जा रहे हैं। वोटिंग शाम 5 बजे तक चलेगी और इसके बाद काउंटिंग शुरू होगी। नतीजे 11 सितंबर को आएंगे।
डीयू में 12 सितंबर को वोटिंग
– 2012 के बाद पहली बार दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (DUSU) और जवाहरलाल नेहरू स्टूडेंट यूनियन (JNUSU) के इलेक्शन अलग-अलग दिन रखे गए हैं। डीयू में 12 सितंबर को वोटिंग होगी। इसके एक दिन पहले जेएनयू इलेक्शन के नतीजों का एलान होगा।
– बता दें कि दोनों यूनिवर्सिटी में आमतौर पर सितंबर के दूसरे शुक्रवार को चुनाव कराने की परंपरा रही है।
डिबेट में बीएसपी-एबीवीपी सपोर्टर भिड़े
– तेज बारिश के चलते प्रेसिडेंशियल डिबेट कुछ देर के लिए रोकनी पड़ी। रात डेढ़ बजे सवाल-जवाब का सेशन शुरू हुआ। बीएसपी की शबाना अली और एबीवीपी की निधि त्रिपाठी की डिबेट के दौरान दोनों पार्टियों के सपोर्टर आपस में भिड़ गए।
– वहां मौजूद सिक्युरिटी गार्ड्स ने किसी तरह हालात पर काबू पाया। प्रेसिडेंशियल डिबेट को सुनने के लिए कई विदेशी स्टूडेंट भी जेएनयू कैंपस पहुंचे थे।
प्रेसिडेंशियलडिबेट में उठे ये मुद्दे
# शबाना अली (बीएसपी)
-केंद्र में जब से बीजेपी की सरकार आई है, तब से कई जगहों पर दलितों पर हमला किया जा रहा है। गोरक्षा के नाम पर लोगों से खुलेआम मारपीट की जा रही है। राइट विंग फोर्सेज का अटैक यूनिवर्सिटी कैंपस में भी आने लगा है। हमारे कैंपस में प्रदर्शन के अधिकार को खत्म किया जा रहा है। आज भी दलितों को दबाया जा रहा है।
# फारूख आलम (निर्दलीय)
– ये राइट आई…लेफ्ट आई सब राजनीति में खो गई, अब आई हमारी बारी, क्योंकि छात्र नीति है सब पर भारी। दो सालों में नजीब मामले को हटाओ, सिर्फ यह बताओ कि दामोदर हॉस्टल का मेन गेट कब खुलवा दोगे। 9 बजे के बाद वॉशरूम के रास्ते से गुजरना पड़ता है। आपको सिर्फ दलितों, माइनॉरिटी, ओबीसी के नाम पर वोट लेना आता है।
# निधि त्रिपाठी (एबीवीपी)
– इस बार जेएनयू में एबीवीपी ही छाएगा। दवा लेने जाएं, तो सिर्फ पैरासिटामॉल थमा दी जाती है। यह मुद्दा काफी अहम है। जेएनयू यूनियन ने पिछले कुछ सालों में कोई काम नहीं किया। वामपंथी दल का काम है सिर्फ हंगामा करना लेकिन हमारा काम मुद्दों का हल निकालना है। हम कैंपस में सेनेटरी पैड नैपकिन मशीनों की भी स्थापना करवाएंगे।
# वृश्णिका (एनएसयूआई)
– छात्रों की जरूरतों को समझती हूं। छात्रों को अफोर्डेबल एजुकेशन मिल सके, इसका समर्थन करती हूं। केंद्र सरकार जवानों, मजदूरों के लिए क्या कर रही है। ये लोग सिर्फ संघी आइडियोलॉजी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। हमारे कैंपस में इंजेक्शन के लिए भी सफदरजंग-एम्स भेजा जाता है। हमारे कैंपस में अस्पताल बनना चाहिए।
# अपराजिता (एआईएसएफ)
-फांसीवाद ताकत पूरी दुनिया में और देश में उभर रही है। तमाम जगहों पर दमन, शोषण और अत्याचार बढ़ रहे हैं। मिडल ईस्ट हो, फलस्तीन हो। हमारे पीएम हमेशा फ्लाइट मोड में रहते हैं। आज जो ब्राह्मणवाद-फांसीवाद ताकत सत्ता पर काबिज है, वह झूठ के पुलिंदे पर खड़ी है। आजादी के 70 साल गुजर गए और आज भी जनता रोटी मांगती है।
# गीता (आइसा-एसएफआई-एएसएफ)
-हम ऐसा देश चाहते हैं जहां सरकार देश के नागरिकों से डरें। सभी लोग भाई-चारे और प्रेम से रहें। जबकि ये लोग ऐसा देश चाहते हैं कि जहां पर सबको जबर्दस्ती भारत माता की जय के नारे लगाने के लिए कहा जाता है और रोहित वेमुला की मां और नजीब अहमद की मां के संघर्षों का मजाक उड़ाया जाता है। फैलोशिप खत्म करने की भी कोशिश की जा रही है।