दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा कर एक व्यक्ति ने अपनी यूक्रेनी पत्नी का नाम वीजा काली सूची से हटाने और उसे भारत आने के लिए जीवन- साथी वीजा जारी करने संबंधी निर्देश देने का अनुरोध किया है. व्यक्ति का दावा है कि विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय( एफआरआरओ) ने कोई कारण बताये बगैर ही उनकी पत्नी को वीजा की काली सूची में डाल दिया है जो उसके सुखी वैवाहिक जीवन और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. अदालत में दायर याचिका के अनुसार, महिला फिलहाल नेपाल में रह रही है क्योंकि एफआरआरओ अधिकारियों ने दंपती से कहा था कि पड़ोसी देश से जीवन- साथी वीजा पाना उनके लिए आसान होगा.
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने केन्द्र और एफआरआरओ को नोटिस जारी कर उनसे याचिका पर जवाब मांगा है. अदालत ने मामले की अगली सुनवायी 24 अप्रैल को करनी तय की है. याचिका दायर करने वाले अभय खन्ना की ओर से पेश हुए वकील मनीष तिवारी ने कहा कि व्यक्ति की पत्नी ओल्गा ख्मेलेव्स्का देश की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है.
केन्द्र सरकार के स्थाई वकील अजय दिग्पॉल ने कहा कि वह याचिका पर विस्तृत जवाब देंगे और प्रक्रिया के तहत व्यक्ति को पहले गृह मंत्रालय में अर्जी देनी चाहिए थी, जो तथ्यों के आधार पर अपना फैसला करेगा. उन्होंने कहा कि यह विदेशी महिला पहले भी दो बार तय समय सीमा से ज्यादा वक्त तक भारत में रह चुकी है.
विभिन्न आवेदनों और अर्जियों के बीच महिला को इस वर्ष फरवरी में बताया गया कि उसे काली सूची में डाल दिया गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि महिला की कैंसर से पीड़ित अपनी सास की सेवा करती थी.