यूपी के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है। इस साल अब तक यहां 1317 बच्चों की मौत हो चुकी है। यूपी हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक साल 2014 में यहां 5850 मौत हुई थी। साल 2015 में 6917 मौत हुई थी। वहीं साल 2016 में यहां 6121 मौत हुई है। सरकारी डेटा के मुताबिक साल 2014 में रोजाना औसतन 16 मौतें हुईं, 2015 में 19 और 2016 में 17 मौतें हुई हैं।
वहीं डेटा के मुताबिक बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त तक औसतन 5.3 मौतें रोजाना हुई हैं। इस पर स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि पिछले सालों के मुकाबले इस साल होने वाली मौतों में कमी आई है। कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मौत की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया था। उनका विरोध करते हुए स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा अच्छा काम किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमने इन्सेफेलाइटिस उपचार केंद्रों को मजबूत किया है और खतरनाक बीमारी की जांच के लिए विभिन्न प्रभावी उपाय किए हैं, ताकि अधिक रोगियों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्तरों पर इलाज किया जा सके और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जल्द ही न आएं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के रिकॉर्ड के मुताबिक इस साल जनवरी में 152 बच्चों की मौत हुई है। फरवरी में 122, मार्च में 159, अप्रैल में 123 मई में 139, जून में 137 जुलाई में 128 और जुलाई में 325 बच्चों की मौत हुई है। वहीं सितंबर के पहले दो दिन में ही 32 बच्चों की मौत के बाद कुल मौतों का आंकड़ा 1,317 पर पहुंच गया है।
बीआरडी में साल 2014 में 51,018 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती किया गया था। 2015 में 61,295 बच्चों को और 2016 में 60,891 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। सरकारी डेटा के मुताबिक अगस्त 2016 में 587 बच्चों की मौत हुई थी। अगस्त 2015 में 668 और अगस्त 2016 में 567 बच्चों की मौत हो गई थी। इसके अलावा अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 324 बच्चों की मौत हुई है। 2017 के दौरान गोरखपुर और बस्ती डिवीजन के सात जिलों के 529 गांवों/शहरी क्षेत्रों में लार्विसेडियल छिड़काव और फॉगिंग किया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं।