उत्तर प्रदेश में एक मुस्लिम महिला ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। यह मामला फारुखाबाद के नवाबगंज पुलिस थाना क्षेत्र का है। महिला ने अपने पति और ससुराल वालों में दहेज उत्पीड़न का पुलिस थाने में केस दर्ज कराया है। एक पुलिस अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार नगीना बेगम की शादी पांच साल पहले मुज़म्मिल नाम के एक व्यक्ति से हुई थी। शादी के बाद उसे मुज़म्मिल से तीन बच्चे हुए। शादी के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन कुछ समय के बाद उसके पति और ससुराल वालों ने उसके परिवार से दहेज मांगना शुरु कर दिया। उसके सुसराल वाले दहेज न लाने के लिए अक्सर नगीना के साथ मारपीट किया करते थे।
इसके बाद नगीना तीनों बच्चों को लेकर अपने घर आ गई। नगीना ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया कि उसने इस मामले में तीन बार केस दर्ज कराया था लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। नगीना ने बताया कि छह महीने पहले उसके पति ने उसे फोन पर तीन बार तलाक कहकर छोड़ दिया था और दूसरी महिला से शादी कर ली। इसके बाद भी पुलिस ने जब उसकी शिकायत दर्ज नहीं की तो उसने अपने ऊपर कैरोसिन डाल आग लगाकर जान देने की कोशिश की, लेकिन ऐन मौके पर पुलिस पहुंच गई, जिसके कारण उसकी जान बच गई। नगीना का कहना है कि मेरे पति ने मेरी और मेरे बच्चों की जिंदगी बर्बाद की है। उसपर और उसके परिवार पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे कोई भी पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक कहकर नहीं छोड़ सकता हैं। ऐसे में मैं अपने बच्चों का पालन पोषण कैसे करुंगी।
तीन तलाक के मुद्दे को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। वहीं तीन तलाक पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 मई) को कहा कि मुसलमानों में शादी को खत्म करने का यह तरीका ‘बेहद खराब’ और ‘बर्दाश्त ना करने वाला’ है। सुप्रीम कोर्ट ने धर्म पर बोलने वाले लोगों का उदाहरण देते हुए कहा कि उन लोगों ने तीन तलाक को ‘कानूनन सही’ तो बताया है लेकिन वे भी इसको सबसे खराब और ना चाहने वाली चीज मानते हैं। यह बात पांच जजों की बेंच ने कही जो तीन तलाक मे मामले की सुनवाई कर रही है। इसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस जे एस खेहर कर रहे हैं।