उत्तर प्रदेश की महिला पुलिस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर ने अपने ट्रांसफर को ‘अच्छे कामों का इनाम’ बताया है। श्रेष्ठा ने स्थानीय बीजेपी नेता के खिलाफ सख्ती दिखाई थी, जिसकी सोशल मीडिया पर खासी तारीफ हुई थी। शनिवार को उनका तबादला बहराइच कर दिया। ठाकुर ने पांच बीजेपी नेताओं को सरकारी काम में बाधा डालने के चलते जेल भेज दिया था। अपने ट्रांसफर की सूचना पर उन्होंने कहा कि वह खुश हैं और इसे अपने अच्छे काम के इनाम की तरह कबूल करती हैं। उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ”जहां भी जाएगा, रौशनी लुटाएगा। किसी चराग का अपना मकां नहीं होता। बहराइच ट्रांसफर हो गया, नेपाल बॉर्डर है। परेशान मत होइए दोस्तों, मैं खुश हूं। मैं इसे अपने अच्छे काम का इनाम मानती हूं। आप सभी बहराइच में आमंत्रित हैं।” अभी तक श्रेष्ठा की तैनाती बुलंदशहर जिले के स्याना सर्किल में थी। उन्हें कुछ अन्य डिप्टी सुप्रिटेंडेंट्स के साथ ट्रांसफर किया गया है।
हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार, ठाकुर के तबादले के बाद स्थानीय नेता इसे अपना सम्मान मान रहे हैं और इसके साथ ही आला अधिकारियों से महिला अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। बुलंदशहर के बीजेपी अध्यक्ष मुकेश भारद्वाज ने कहा कि ठाकुर पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और अन्य नेताओं पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का मामला दर्ज कराया गया है।
एक हफ्ते पहले ट्रैफिक रूल तोड़ने पर पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ता का चालान काट दिया था। आरोप है कि इसके बाद अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने महिला CO श्रेष्ठा ठाकुर से बदसलूकी की। इतना ही नहीं, जिन कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ा था, उन्हें भी कोर्ट परिसर से छुड़ाने की कोशिश की गई।
कार्यकर्ताओं और महिला CO के बीच भी जमकर बहस हुई। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि पुलिस बीजेपी से जुड़े ही लोगों के खिलाफ कार्रवाई करती है और ट्रैफिक नियमों के नाम पर घूसखोरी की जाती है। हालांकि सीओ ने इन आरोपों की सिरे से नकार दिया।
महिला CO ने मीडिया को बताया, “मामला चालान का था। प्रमोद के पास पूरे दस्तावेज नहीं थे। पहले उन्होंने मेरे साथ बदतमीजी की। इसके बाद दूसरे पुलिस अधिकारियों के साथ भी बदसलूकी की गई।”