लखनऊ: प्रदेश सरकार अनचाहे शिशुओं को बचाने के लिए पालना शिशु स्वागत केंद्र खोलने जा रही है। यह पालना केंद्र सभी सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेज, राजकीय बाल गृह, चाइल्ड लाइन व दत्तक ग्रहण इकाइयों में खोले जाएंगे। कोई भी अपने अनचाहे शिशु को नालियों व झाड़ियों में फेंकने के बजाय इस पालने में सुरक्षित रखकर चुपचाप जा सकता है। सरकार ऐसे शिशुओं का लालन-पालन करेगी।
फेंके जाने वाले बच्चों में लड़कियों की तादाद ज्यादा होती है। कई बार ऐसे शिशु कुत्ते या फिर दूसरे जानवरों के शिकार बन जाते हैं। ऐसे नवजातों को ही बचाने का बीड़ा महिला कल्याण विभाग ने उठाया है।
पालने में शिशु को रखते ही बज जाएगी घंटी: पालने को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि इसमें जैसे ही बच्चे को रखा जाएगा इसमें लगी घंटी अपने आप बज जाएगी। इससे संबंधित केंद्र के कर्मचारियों को नया बच्चा आने की सूचना मिल जाएगी। अगर शिशु बीमार होगा तो उसका उपचार कराया जाएगा।
हेल्पलाइन की ली जाएगी मदद: प्रदेश सरकार इसमें 108 व 102 एंबुलेंस सेवा के साथ ही 181 महिला हेल्पलाइन की भी मदद लेगी। यदि पालना शिशु स्वागत केंद्र में कोई गंभीर रूप से बीमार बच्चा आता है तो उसे इलाज कराने के लिए इन एंबुलेंस सेवा से संबंधित अस्पतालों तक पहुंचाया जाएगा। जरूरत पड़ने पर आशा ज्योति केंद्र की रेस्क्यू वैन का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
क्या कहते हैं अधिकारी: महिला कल्याण के निदेशक रामकेवल कहते हैं, जब यह बच्चे स्वस्थ हो जाएंगे तो इन्हें दत्तक ग्रहण इकाइयों के माध्यम से गोद देने की औपचारिकता पूरी की जाएगी। साथ ही यह पालना शिशु केंद्र ठीक से काम करें इसकी हर महीने संबंधित जिलाधिकारी समीक्षा करेंगे। अनचाहे शिशुओं को बचाने के लिए क्रेडिल केयर योजना शुरू की जा रही है। इस योजना को प्रभावी ढंग से प्रदेश में लागू किया जा रहा है।