Wednesday, December 4, 2024
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यूपी: हाई कोर्ट का योगी सरकार को आदेश- कानूनन मॉस कारोबार चलता रहे

SI News Today

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आधुनिक बूचड़खाने बनाना और उन्हें संचालित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने लाइसेंस के आवेदकों से कहा कि वे आवेदन करें और संबंधित अधिकारियों को नियम के अनुसार लाइसेंस जारी करने का निर्देश दिया। अदालत का मानना था कि लाइसेंस खाद्य सुरक्षा कानून 2006 के तहत दिए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि इस अंतरिम आदेश के बाद योगी आदित्य नाथ सरकार को बूचड़खानों पर लगी अघोषित पाबंदी हटानी होगी और मीट विक्रेताओं को अथॉरिटी से अनुमति लेने की सुविधा देनी होगी।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि एनिमल फूड की खपद अब जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। न्यायमूर्ति ए पी साही और संजय हरकौलि की पीठ ने यह आदेश यूपी सरकार के 22 मार्च को अवैध बूचड़खाने और मीट की दुकानों को बंद करने के आदेश के खिलाफ आईं 27 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। पीठ ने कहा कि अगर स्थानीय अधिकारियों को ऐसा करने में कोई दिक्कत पेश आये तो वे सही दिशानिर्देश के लिए राज्य सरकार से बात कर सकते हैं।

पीठ ने इस संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्चाधिकार प्राप्त समिति से भी कहा कि वह पशुवध और लाइसेंस जारी करने के मामले में नीति बनाये। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि उनके लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाना चाहिए जो 31 मार्च 2017 को समाप्त हो गये। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई तय की।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों में अवैध बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम शुरू किये जाने के बीच सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि देश में केवल 1,707 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं। सबसे ज्यादा पंजीकृत बूचड़खाने वाले सूबों की फेहरिस्त में क्रमश: तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र शीर्ष तीन स्थानों पर हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़ समेत आठ राज्यों में एक भी बूचड़खाना पंजीकृत नहीं है।

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