मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव समेत कई महान हस्तियों का इतिहास से साजिशन नाम हटाये जाने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि इतिहास को विकृत करने वालों को बेनकाब करने की जरूरत है। योगी ने विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के हिन्दू विजयोत्सव कार्यक्रम में कहा कि करीब हजार साल पहले सैयद सालार मसूद गाजी जैसे ‘विदेशी आक्रांता’ का खात्मा कर अगले 150 साल तक विदेशी हमलावरों में डर बैठाने वाले महाराजा सुहेलदेव को एक साजिश के तहत भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि कैसे इतिहास को तोड़-मरोड़कर राजनीतिक स्वार्थों के कारण समाज को बांटा गया, यह किसी से छिपा नहीं है। जिस दिन असल इतिहास सामने आ जाएगा, उस दिन देश उसे विकृत करने वालों को पहचानने लगेगा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इतिहास से एक साजिश के तहत कई महापुरुषों का नाम हटा दिया गया। आजादी के बाद से ही इस प्रकार की साजिश प्रारम्भ हो गई थी। महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति एक साजिश के तहत दुष्प्रचार कर जिन लोगों ने इतिहास को विकृत किया है, उन्हें समाज के सामने बेनकाब किये जाने की जरूरत है। हम इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे।’ योगी ने कहा कि महापुरुषों की प्रेरणा ही देश और धर्म की रक्षा कर पाती है। हमें हमारे महापुरुषों से दूर कर हमारे स्वाभिमान को दबाया गया था। जो कौम अपने महापुरुषों के सम्मान की रक्षा नहीं कर सकती, वह गुलाम हो जाती है। उसके बाद न देश बच पाता है, न मंदिर बच पाता है न धर्म बच पाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने देश को जाति और धर्म के नाम पर विभाजित कर उसे लूटा और उसे एक चारागाह बना दिया। विदेशी आक्रांताओं की इस साजिश को किसी ने समझा था तो वह महाराज सुहेलदेव थे, जिन्होंने श्रावस्ती और उसके आसपास के राज्यों के 27 राजाओं को एकत्र कर तीन लाख की सालार मसूद की सेना को धराशायी कर दिया। उसके बाद लगभग 150 साल तक विदेशी आक्रांताओं ने भारत पर हमले का दुस्साहस नहीं किया। योगी ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ी संजीदगी से काम करते हुए भारत के इतिहास को नई दिशा देने वाले और स्वाधीनता में योगदान करने वाले महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता का भाव जताते हुए उन्हें सम्मान देने की दिशा में काम शुरू किया है। प्रदेश सरकार तो पहले ही घोषणा कर चुकी है कि महापुरुषों के नाम पर छुट्टी के बजाय स्कूलों में उनके बारे में बताया जाएगा, ताकि बच्चे उनके बारे में जान सकें।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार समाज के हर तबके से सुझाव लेकर नया पाठ्यक्रम तैयार कराएगी और इतिहास से विस्मृत कर दिए गए महापुरुषों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। देश में साम्प्रदायिकता पर चर्चा कराए जाने की पुरजोर वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कोई व्यक्ति बिना किसी सरकारी सहयोग के, केवल समाज की ही मदद से मलिन बस्तियों में काम करके लोगों के अंदर सम्मान का भाव पैदा करना चाहता है, तो कहा जाता है कि वह साम्प्रदायिकता फैला रहे हैं। देश के अंदर वास्तव में साम्प्रदायिकता पर चर्चा कर ली जाए, कि कौन साम्प्रदायिक है और कौन राष्ट्रवादी। उन्होंने कहा कि जो लोग वोट बैंक के लालच में तुष्टीकरण की नीति के तहत समाज को बांटने का काम करते हैं, इतिहास के महापुरुषों का अपमान करते हैं वे खुद को मानवतावादी कहते हैं, लेकिन जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक एकता के सूत्र में बांधकर मातृभूमि की सेवा करने को लक्ष्य बनाते हैं, उन्हें साम्प्रदायिक कहकर अपमानित करने का प्रयास किया जाता है।