लखनऊ: यूपी में नगर निकाय चुनावों को लेकर अभी तक तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन सभी पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं। वहीं इस बीच कई चौकाने वाले मामले भी सामने आये हैं। जहां आम आदमी पार्टी में मेयर के प्रत्याशी को लेकर विरोध शुरू हो गया है। वहीं, हरदोई में सपा के एक बड़े नेता के भाई ने बीजेपी में शामिल होने की बात कहकर सबको चौंका दिया हैं। नरेश अग्रवाल के भाई ज्वाइन करेंगे बीजेपी
-हरदोई जिले की सियासत पर लंबे समय से कब्जा जमाये नरेश अग्रवाल के परिवार में फूट पड़ती दिखाई दे् रही है।
-हरदोई नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाये उमेश अग्रवाल जल्द ही बीजेपी ज्वाइन करने वाले हैं। उमेश अग्रवाल सपा के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल के भाई हैं।
-उमेश अग्रवाल के बीजेपी शामिल होने की खबर के बाद हरदोई के उन बीजेपी नेताओं के घरों में सन्नाटा छा गया है जो अध्यक्ष पद के लिए टिकट की आस लगाए बैठे थे।
-माना जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व ने हरदोई में सपा को कमजोर करने के उद्देश्य से यह चाल चली है।
-उमेश अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि वे जल्द ही बीजेपी में शामिल होंगे। बातचीत फाइनल भी हो गयी है।
10 साल से अग्रवाल परिवार ने संभाली अध्यक्ष की कुर्सी
-उमेश अग्रवाल 2006 में नगर पालिका हरदोई के चेयरमैन बने थे। पांच साल बाद महिला सीट होने की वजह से उनकी पत्नी मीना अग्रवाल चेयरमैन बनीं।
-उमेश का कहना है कि केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है ऐसे में हरदोई के विकास को बढ़ाने के लिए वह बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
-हालांकि उन्होंने कहा मेरे बीजेपी में जाने से परिवार में कोई मतभेद नहीं होने वाला है। रिश्ते जस के तस बने रहेंगे।
कौन हैं नरेश अग्रवाल
-नरेश अग्रवाल समाजवादी पार्टी के महासचिव हैं व राज्यसभा सांसद भी है। सपा परिवार में उपजे कलह के दौरान नरेश अग्रवाल पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ खड़े थे।
लखनऊ में आम आदमी पार्टी में शुरू हुआ विरोध
-अभी दिवाली से पहले आम आदमी पार्टी ने लखनऊ का मेयर प्रत्याशी घोषित करते हुए प्रियंका माहेश्वरी को टिकट दिया था।
-प्रियंका ने अपना कैम्पेन भी शुरू कर दिया था ,लेकिन अब पार्टी में ही उनका विरोध शुरू हो गया है।
-दरअसल, कुछ नेताओं का कहना है कि प्रियंका से बेहतर उम्मीदवार पार्टी में हैं, लेकिन जिला संयोजक गौरव माहेश्वरी की पत्नी होने की वजह से उन्हें टिकट दिया गया है।
-पार्टी के सूत्रों का कहना है कि गौरव पहले खुद चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन जब लखनऊ मेयर का पद महिला के लिए अरक्षित हो गया तो उन्होंने अपनी पत्नी को टिकट दिला दिया।
-विरोधियों को कहना है कि किसी डॉक्टर या इंजीनियर या किसी योग्य व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जाता तो कोई दिक्कत न होती। जैसा की अन्य शहरों में किया गया है।