लखनऊ: जिन संस्थानों में आने वाले पांच वर्षों में लगातार 30 प्रतिशत से छात्रों की प्रवेश संख्या कम रहेगी, उन्हें बंद किया जाएगा। वहीं एआइसीटीई कमजोर संस्थानों में गुणवत्तापरक तकनीकि शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिए मार्गदर्शन स्कीम के तहत 50 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता मुहैया कराई जा रही है। यह कहना था अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के वाइस चेयरमैन प्रो. एमपी पुनिया का।
वह सोमवार को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में आयोजित बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि अगले वर्ष सं इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कोर्स की फीस घटाने पर विचार किया जा रहा है।
कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में विवि से संबद्ध सरकारी व निजी संस्थानों के चेयरमैन व निदेशकों के साथ आयोजित बैठक में प्रो.एमपी पुनिया ने वर्तमान में तकनीकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एआइसीटीई द्वारा किए जा रहे कार्यो व योजनाओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने संस्थाओं में शैक्षिक गुणवत्ता और प्रवेश संख्या की स्थिति में सुधार न होने पर उन्हें बंद किए जाने की चेतावनी दी।
प्रो.पुनिया ने कहा कि देश में गुणवत्तापरक शिक्षकों की कमी है। तकनीकि शिक्षा में इस कमी को पूरा करने के लिए एमटेक के बाद जो छात्र-छात्रएं टीचिंग में आना चाहेंगी उन्हें छह माह का शिक्षण पद्धति का सर्टिफिकेट कोर्स करना होगा। इसके तहत शिक्षण कौशल विकास की ट्रेनिंग दी जाएगी। एआइसीटीई सातवां पे कमीशन लागू करने जा रहा है। इसके लागू होते ही शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष 15 दिन के लिए इंडस्ट्री ट्रेनिंग पर जाना होगा। साथ ही वर्ष में कम से कम एक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में शामिल होना होगा।
आने वाले वर्षो में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम संचालित करने वाले निजी विवि की भी सीटों पर कितने लोगों की भर्ती की जाएगी, इसका निर्धारण किए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। साथ ही नीट की तरह काउंसिलिंग के माध्यम से ही इन निजी विवि की भी सीटें भरी जाएंगी।
प्रदेश में हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को विकसित करने के लिए हिंदी में टेक्स्ट और ऑडियो विजुअल पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। इस वर्ष 300 स्टार्टअप शुरू हुए हैं, जिन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अवार्ड भी दिया जाएगा। प्रो. पुनिया ने बताया कि पूरे देश में इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए नीट की तरह सिर्फ एक केंद्रीय इंट्रेंस टेस्ट की व्यवस्था शुरू किए जाने पर विचार हो रहा है। इससे छात्र-छात्रओं को बहुत से फार्म भरने से मुक्ति मिलेगी।
इंडस्ट्री में शोध के लिए जाना होगा: बैठक में निर्णय हुआ कि एमटेक के दो वर्ष के पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में छात्र-छात्रओं को एक वर्ष की थीसिस करने के लिए इंडस्ट्री (एमएसएमई) में जाना होगा। इस योजना को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर 700 एमटेक छात्र छात्रओं को एमएसएमई में शोध के लिए भेजा गया है। प्रो. पुनिया ने बताया कि देश में इंजीनियरिंग के दस हजार संस्थान हैं, जिनमें लगभग 37 लाख सीटें हैं। इन सीटों के सापेक्ष लगभग हर वर्ष 21 लाख छात्र-छात्रएं प्रवेश लेते हैं। इन 21 लाख विद्यार्थियों में 13 लाख ही पास हो पाते हैं।
कम होगा छात्रों का बोझ: बैठक में स्नातक स्तर पर छात्र छात्रओं के सिर से बोझ को कम करने के लिए 200 क्रेडिट के बीटेक पाठ्यक्रम को 160 क्रेडिट किए जाने व प्रथम वर्ष में 21 दिन के ओरिएंटेशन प्रोग्राम से पाठ्यक्रम को शुरू करने की प्लानिंग पर चर्चा हुई।