लखनऊ: खालिद रशीद फरंगीमहली से मुलाकात करने के लिए श्री श्री रविशंकर पहुंचे। मुलाकात के बाद श्री श्री रविशंकर ने कहा कि, “अदालत से फैसलों से दो मजहबों के दिलों को नहीं जोड़े जा सकते है।सभी संभावनाएं हैं। समय दीजिए। बातचीत के जरिए हम हर समस्या का हल निकाल सकते हैं।” अयोध्या में पक्षकारों से मिले थे श्री श्री रविशंकर
– इससे पहले श्री श्री रविशंकर गुरुवार को लखनऊ से अयोध्या पहुंचे थे । यहां बातचीत में उन्होंने कहा- “मैं जानता हूं कि आमतौर पर मुसलमान राम मंदिर के विरोध में नहीं हैं। हो सकता है कि कुछ लोग इससे सहमत ना हों।”
– बाद में श्री श्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इसमें कहा- “कई बार समाधान असंभव नजर आता है। लेकिन हमारे लोग, युवा और दोनों समुदायों के नेता इसे संभव बना सकते हैं।” बता दें कि श्री श्री अयोध्या विवाद का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वो सभी पक्षों से बात कर रहे हैं।
अयोध्या विवाद में कौन-कौन से पक्ष हैं ?
– निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड।
तीनों पक्षों का दावा क्या है ?
– निर्मोही अखाड़ा: गर्भगृह में विराजमान रामलला की पूजा और व्यवस्था शुरू से निर्मोही अखाड़ा करता रहा है। लिहाजा, वह स्थान उसे सौंप दिया जाए।
– रामलला विराजमान: रामलला विराजमान का दावा है कि वे रामलला के करीबी मित्र हैं। चूंकि भगवान राम अभी बाल रूप में हैं, इसलिए उनकी सेवा करने के लिए वह स्थान रामलला विराजमान पक्ष को दिया जाए, जहां रामलला विराजमान हैं।
– सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड: सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दावा है कि वहां बाबरी मस्जिद थी। मुस्लिम वहां नमाज पढ़ते रहे हैं। इसलिए वह स्थान मस्जिद होने के नाते उनको सौंप दिया जाए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
– 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।
– बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।