लखनऊ.21 मई से यूपी में इंडियन ग्रामीण क्रिकेट लीग (IGCL) शुरू होने जा रहा है। प्रतियोगिता में इस बार महिलाएं क्रिकेट खेलती नजर आएंगी आज आपको यूपी की 2 लड़कियों के बारे में बताने जा रहा है, जिन्होंने साल 2016 में बहरीन (सऊदी) में हुई जूनियर क्रॉस कंट्री रेस में 6 किलोमीटर की दौड़ लगाई। इसमें एक ने 10वां और दूसरी ने 12वां स्थान प्राप्त किया। दोनों ने जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप 2014, 2015 और 2016 में गोल्ड मेडल जीते हैं।
प्लेयर बोली- हॉस्टल में न होता सिलेक्शन, तो पूरी जिंदगी प्लेन में न बैठ पाती
– इलाहाबाद की सुधा पाल ने बताया- मेरे पिता मजदूर हैं, मां हाउस वाइफ हैं। घर में 1 भाई और एक छोटी बहन है। पापा ने बचपन में किसी तरह सरकारी स्कूल में मेरा एडमिशन कराया। 9th क्लास में थी, स्कूल में रेस कॉम्पटीशन हुआ। उसमें मैंने भी हिस्सा लिया और इतना तेज दौड़ी की लड़कों को भी पीछे छोड़ दिया।
– उस समय मेरे पास जूते नहीं थे, यह देख मेरे टीचर ने कहा कि मुझे एथिलेटिक ज्वाइन करना चाहिए। उन्होंने ही मुझे लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में ट्रायल की जानकारी दी। 2011 में मैंने स्टेडियम के हाॅस्टल के लिए ट्रायल दिया और पहली बार में ही सिलेक्शन हो गया।
– हॉस्टल में खाने पीने और रहने की सुविधा फ्री में दी जाती है। मुझ गरीब का अगर वहां सिलेक्शन नहीं होता, तो शायद आज मैं इलाहाबाद के बाहर नहीं निकल पाती।
– साल 2012 में मैंने स्टेट लेवल चैम्पियनशिप में भाग लिया। इसके बाद रांची, कोयम्बटूर में नेशनल लेवल की 6 Km रेस में हिस्सा लिया और 2016 में बहरीन में रूम पार्टनर नंदिनी के साथ हिस्सा लिया।
– अपनी कामयाबी के लिए मैं केडी सिंह बाबू स्टेडियम के डिपार्टमेंट का शुक्रिया करना चाहती हूं। वहां के कोच और वार्डन मैम जितना सपोर्ट करती हैं, उतना किसी रिलेटिव ने भी नहीं किया। उन्हीं की वजह से मैं प्लेन में बैठ सकी।
टैलेंट देख रेलवे ने ऑफर की जॉब
– गाजीपुर की रहने वाली नंदनी गुप्ता कहती हैं- मेरे पिता किसान हैं। एक बड़ी बहन और 2 भाई हैं। बहन की शादी हो चुकी है।
– मुझे बचपन से ही दौड़ना पसंद था। 8वीं क्लास में भाई ने मेरा एडमिशन स्टेडियम में कराया। इसके बाद मैंने केडी सिंह बाबू स्टेडियम के हॉस्टल के लिए ट्रायल दिया और सिलेक्शन हो गया।
– मैं अपने भाई का शुक्रिया करना चाहती हूं कि उसकी बात मानकर मैंने एथिलीट बनने का फैसला किया। उसकी ही जिद थी कि मैं नेशनल लेवल पर खेलूं।
– मुझे सपोर्ट में भाग लेते देख पहले गांव में सभी लोग घर आकर कहते थे कि छोटी बच्ची है, लड़की है। इसे ये सब नहीं करना चाहिए, क्यों लखनऊ भेज दिया। लेकिन आज पूरा गांव मेरी फैमिली की तारीफ करता है।
– रेलवे ने मुझे जाॅब आॅफर की है। जब यह बात गांव में सभी को पता चली तो उन्हें लगा कि ये सब झूठ है, क्योंकि मेरी एज अभी जाॅब के लिए नहीं थी। फिलहाल, मैं 16 साल की हूं, उम्र होने पर रेलवे ज्वाइन कर लूंगी और खुद के पैसों से तैयारी कर सकूंगी, घर में भी आर्थिक मदद करूंगी।