यूं तो 20 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों को वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन, जीएसटी की शर्तें इन छोटे कारोबारियों पर भी भारी पड़ रही हैैं। हालांकि इन्हें जीएसटी की औपचारिकताओं से कोई लेना देना नहीं है पर इनमें से जो व्यापारी प्रदेश के बाहर से माल मंगाते हैं, ट्रांसपोर्टर उनका माल लाने के लिए जीएसटी नंबर मांग रहे हैं। वे डर रहे हैं कि बिना जीएसटी नंबर के माल ले जाने से कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए और उन्हें कार्रवाई का सामना न करना पड़े।
मंगलवार को गोमतीनगर स्थित वाणिज्य कर मुख्यालय में व्यापारी और जीएसटी अधिकारी जब समस्याओं पर चर्चा के लिए आमने-सामने बैठे तो व्यापारियों की तरफ से यह एक बड़ी समस्या सामने आई। इस पर जीएसटी के एडीशनल कमिश्नर विवेक कुमार ने बताया कि ई-वे बिल जब चलन में आएगा तो इस तरह की समस्याएं खत्म हो जाएंगी। राज्य सरकार इसे शुरू करेगी लेकिन, दो-तीन महीनों में जब जीएसटी काउंसिल का ई-वे बिल मिलने लगेगा तो वह वास्तव में अच्छे परिणाम देने वाला साबित होगा। ई-वे बिल से जीएसटी के रिटर्न भरना भी खासा आसान हो जाएगा। बातचीत में यह भी तय हुआ कि जीएसटी को लेकर ट्रांसपोर्टरों का भ्रम दूर करने के लिए उनकी क्लास भी लगाई जाएगी।
उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल की ओर से आयोजित वार्ता में व्यापारियों की शंकाओं के समाधान के लिए जीएसटी के अपर आयुक्त विवेक कुमार व चंद्रिका प्रसाद के साथ व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल और अमरनाथ मिश्र मंच पर थे, जबकि प्रदेश भर के पदाधिकारी और व्यापारी सवाल पूछ रहे थे। जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर हरीलाल प्रजापति ने भी व्यापारियों को जीएसटी की बारीकियां समझाईं।
बिक्री बढ़ी तो क्या पिछला कर वसूलेंगे?
अधिकारियों से बातचीत में राजेंद्र अग्रवाल ने जहां माल मंगाने से जुड़ी समस्याएं रखीं, वहीं हरिश्चंद्र अग्रवाल ने सवाल उठाया कि जीएसटी लागू होने के बाद बिक्री बढ़ी तो कहीं पिछली बिक्री से मिलान कर पुराना टैक्स तो नहीं वसूल लिया जाएगा। जिन्होंने छोटा डाला, छोटा हाथी या डीसीएम जैसी प्राइवेट गाडिय़ां खरीद रखीं हैं, वे कैसे इसे चलाएंगे।
इस पर अपर आयुक्त विवेक कुमार ने विश्वास दिलाया कि व्यापारियों का किसी तरह का अहित नहीं होगा और एक बार व्यवस्था पटरी पर आने के बाद यह समस्याएं सुलझ जाएंगी। मनीष अग्रवाल ने पूछा कि पुरानी बिल बुक में जब एचएसएन कोड और जीएसटी के कॉलम नहीं है तो उससे कैसे बिल काटे जा सकते हैं। उन्हें बताया गया कि पुरानी बिल बुक से बिल काटने की छूट नहीं दी गई थी।
सिर्फ इतनी सहूलियत थी कि प्रोवीजनल आइडी या जीएसटीआइएन नहीं है तो टिन नंबर का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन, बाद में जीएसटीआइएन दर्ज करके रिवाइज्ड इनवॉयस जारी करना होगा। विजय ने पूछा कि माल खराब हो जाए या न बिके तो इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का क्या होगा। उन्हें बताया गया कि जब आगे टैक्स नहीं लेंगे तो आइटीसी भी नहीं देंगे।
नैचुरल गैस पर 10 फीसद टैक्स
व्यापारियों ने जब यूरिया पर अधिक टैक्स लगने की बात कही तो अधिकारियों ने बताया कि यूरिया पर नहीं नैचुरल गैस पर 10 फीसद टैक्स लगाया जा रहा है। हालांकि अन्य राज्यों में नैचुरल गैस पर टैक्स की दर पांच फीसद है, लेकिन उत्तर प्रदेश के साथ गुजरात और एक अन्य प्रदेश में यह 10 फीसद है। यदि टैक्सेबल प्रोडक्ट के लिए नैचुरल गैस का प्रयोग नहीं किया जा रहा है तो 26 फीसद टैक्स लगेगा। अधिकारियों ने बताया कि नैचुरल गैस जीएसटी के दायरे से बाहर है और पहले वैट से भी यह बाहर थी। अधिकारियों ने नैचुरल गैस पर टैक्स की दर अन्य प्रदेशों के समान किए जाने को सरकार के स्तर पर विचार का मुद्दा बताया।