लखनऊ: लोक आस्था के महापर्व छठ उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ खत्म हो गया। इस दौरान सेल्फी का क्रेज दिखा। व्रत करने वाली महिलाओं के साथ पहुंची गर्ल्स ने पानी में उतरकर दोस्तों के साथ अपनी सेल्फी ली। वैसे तो महिलाएं व्रत करके बेटों के सालमती की दुआएं मांगती है, लेकिन इस पूजा में पूरे परिवार के लोग हिस्सा लेते है। गोमती के किनारे सेल्फी का क्रेज भी कुछ ऐसा ही था। यह ऐसा पर्व है, जिसमें पुरोहित की जरूरत किसी को नहीं होती
– छठ में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यही एक ऐसा पर्व है, जिसमें किसी पुरोहित की जरूरत नहीं होती।
– चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। अगले दिन खरना होता है।
– खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती दो दिन तक पानी भी नहीं पीते। तीसरे दिन शाम को डूबते और चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा किसी भी पानी वाली जगह पर जैसे नदी, तालाब, बावड़ी, झील पर होती है।
द्रौपदी ने भी किया था छठ, तब मिला था पांडवों को खोया राज्य
– वाल्मीकि रामायण के मुताबिक जो सूर्य की आराधना करता है, उसे दुख नहीं भोगना पड़ता।
– कहते हैं कि सभी तरह के चर्म रोग सूर्य उपासना करने से ठीक हो जाते हैं। सूर्य की आराधना से भगवान श्री कृष्ण के बेटे राजा शाम्ब का कुष्ठ रोग दूर हो गया था।
– पुत्र और सौभाग्य के लिए छठ व्रत रखने का महत्व है। कहा जाता है महाभारत काल में द्रौपदी ने यह व्रत किया था। इससे पांडवों को खोया राज्य मिला।
विदेशों में भी मनाते हैं छठ
– अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरिशस, थाईलैंड, सिंगापुर, दुबई आदि देशों में रहने वाले बिहार के लोग भी बड़ी संख्या में छठ मनाते हैं।
– देश के अंदर दिल्ली में यमुना के किनारे और मुंबई में समुद्री तट पर छठ का बड़ा आयोजन होता है।