लखनऊ: एलडीए में आग लगने के बाद समायोजन, नजूल, और जेपीएनआईसी की सैकड़ों फाइलें जलकर राख हो गई। लेकिन एलडीए की जांच रिपोर्ट में यह बताया गया कि कोई भी ऐसी फाइल नहीं जली है जिसकी जांच चल रही थी। यहां सबसे बड़ा सवाल है की 14अक्टूबर की देर रात आग लगी, शनिवार और रविवार को आफिस बंद था। सोमवार को मीडिया के सामने जांच रिपोर्ट में मामले का खुलासा कर दिया गया। मामले में एलडीए के 2 रिटायर्ड अधिकारी, कर्मचारी संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी, सचिव स्तर के एक अधिकारी व सचिवालय में तैनात एक वरिष्ठ आईएएस ने नाम न छापने की शर्त पर बातचीत की गई । जिसमें डाटा मैनेजमेंट व स्कैनर कम्पनीं के साथ मिलकर पूर्व वीसी का खेल सामने आया। जिसमें सभी ने एलडीए के 2 पूर्व वीसी, एक ज्वाइंट सेक्रेटरी और तहसीलदार की भूमिका को संदिग्ध बताया।
गुरूग्राम की कम्पनीं को दी गई थी स्कैनर की जिम्मेदारी
– एलडीए के रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि- “एलडीए में 13 अक्टूबर की देर रात लगी आग के पीछे का कारण पिछले एक साल पहले हुए घोटालों और जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री के साथ नजूल की जमीनों के हेर फेर था।”
– “इस पूरे मामले पर पर्दा डालने के लिए पिछले साल ही तैयारी शुरू कर दी गई थी, लेकिन सरकार की अस्थिरता ने उनके मंसूबों को नाकाम किया। जिसमें कम्पनीं के द्वारा सारे काम को आनलाइन करने व सबको डिजिटल करने के साथ ही डाटा मैनेजमेंट के काम के लिए गुरूग्राम की कम्पनीं राइटर्स प्रा। लिमिटेड को दिया गया था।
– “अगस्त 2016 में एलडीए का वीसी अनूप यादव को बनाया गया था। इन्होनें ही विभाग को डिजिटल करने के लिए निक्सी ( भारत सरकार उपक्रम ) को 2 करोड़ का ठेका दिया।”
– रिटायर्ड अधिकारी ने बताया “उसके बाद तत्कालीन ज्वाइंट सेक्रेटरी छोटे लाल मिश्रा को इसकी मानीटरिंग की पूरी जिम्मेदारी दी गई। निक्सी ने उस काम को गुरूग्राम की कम्पनीं राइटर्स प्रा। लि। को दे दिया।
– “कम्पनीं को एलडीए की सभी फाइलों को स्कैन करके डाटा आनलाइन करने करने के अलावा सभी दस्तावेजों की हार्डकापी को अपने गोदाम में रखनें की जिम्मेदारी दी गई।”
– “सितम्बर 2016 से कम्पनीं ने अपने काम की शुरूआत की, लेकिन एक सप्ताह बाद ही उसे ज्वाइंट सेके्रटरी छेाटे लाल मिश्रा के इनिशिएटिव पर 1 करोड़ का एडवांस पेमेंट हो गया।”
नजूल की जमीन की एनओसी के लिए भी बनाया था दबाव
– एलडीए के एक अधिकारी जो तत्कालीन वीसी सत्येंद्र सिंह के साथ काम कर चुके हैं, ने बताया कि- “सत्येंद्र सिंह एलडीए में जितना करप्शन और धांधली सत्येंद्र सिंह करके गए हैं, वो अब तक का रिकार्ड है, क्योंकि बतौर वीसी अपने पहले के 20 महीनों के कार्यकाल में ही वो अपनीं घोटालों की स्क्रिप्ट तैयार कर चुके थे।”
– “सत्येंद्र सिंह ने ही तात्कालीन ओएसडी और सचिव पर नजूल की जमीन को एनओसी देने के लिए दबाव बनाया था, जमीन गोमती नदी के किनारे पेपर मिल कालोनी के पास की थी। जिसकी कीमत अरबों में थी। वो जमीन एक बड़े बिल्डर के नाम पर की जानीं थी।”
– उन्होंने बताया “जब ओएसडी और सचिव ने अरबों रू की जमीन की एनओसी देने के लिए फाइल पर साइन नहीं किये, तो उन्होंने ही एक अधिकारी से ओएसडी और सचिव के के खिलाफ क्लू ढूँढने को कहा। जिसमें उन्हें पद से हटाने तक की धमकी दिलावाई थी। जिसकी जांच भी वर्तमान वीसी प्रभू नारायण ने करवाकर उस नजूल की जमीन के सारे पेपर्स कैंसिल करवाए और अभिलेखो में छेड़छाड़ की जांच करवानें की तैयारी में थे।”
– सत्येंद्र सिंह के करीबी रहे एक अधिकारी ने बताया कि- “उनके सबंध सीधे सपा परिवार से थे, कई अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग वो खुद करवाते थे। जिसमें तत्कालीन वीसी सत्येंद्र सिंह की सिफारिश पर ही कुछ दिनों के लिए अनूप यादव को यहां लाया गया। क्योंकि उस समय सपा की सरकार थी और सरकार में पूर्व वीसी की अच्छी पैठ थी। जब उन्होंने कम्पनीं को काम देकर पेमेंट भी कर दिया तो उसी के तुंरत बाद सत्येंद्र सिंह दोबारा वीसी के पद पर आए।”
– “जिस वक्त दिसम्बर 2016 में तत्कालीन वीसी अनूप यादव को हटाया गया, उस वक्त लखनऊ में बतौर डीएम सत्येंद्र सिंह को एलडीए का अतिरिक्त चार्ज दिया गया। उसी दौरान उन्हें चुनाव आयोग ने डीएम के पद से हटा दिया। क्योंकि सत्येंद्र सिंह पहले से ये बात जानते थे, कि उन्हें डीएम पद से हटाया जाएगा, इसलिए अतिरिक्त चार्ज के रूप वीसी पद पर बनें रहे।”
– पूर्व वीसी सत्येन्द्र सिंह के करीबी रहे एक इंजिनियर ने बताया कि- “वो एलडीए में कई नई योजनाओं को भी शुरू करना चाहते थे, कर्मचारी संगठन, और अन्य अधिकारियों के दबाव में वो पीछे हट गए थे। क्योंकि उसे शुरू करने के लिए एलडीए की एफडी को गिरवी रखना पड़ता। तभी बैंक से पैसा मिलता।”
– कर्मचारी संघ से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि- “पूर्व ओएसडी अम्बिसिंह बिस्ट, बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा, पूर्व सचिव सीमा सिंह, व अन्य कई पूर्व सचिवों की गड़बड़ी किए फ्लैट्स व जमीनों से जुड़े पेपर्स भी उसी आलमारी में थे जिन्हें स्कैन कराया गया था।”
घोटाले बाजों से घिरे वीसी पीएन सिंह
– एलडीए के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि- “वीसी प्रभु नारायण सिंह के हाथ पिछले 2 महीनों में बड़े घोटालेबाजों की गर्दन तक पहुंचे हैं। जिनमें 11 फाइलें अवैध एनओसी व अन्य प्लाटो के हेरफेर की हैं, जिसमें पूर्व ओएसडी अम्बिसिंह बिस्ट, पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह, पूर्व वीसी अनूप सिंह, पूर्व ज्वाइंट सेके्रटरी छोटे लाल मिश्रा, बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा, पूर्व सचिव सीमा सिंह, समेत अन्य कई अधिकारियों में खलबली मची हुई है।”
– “इनमें से बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा पर एफआईआर, और ज्वाइंट सेके्रटरी छोटे लाल मिश्रा और पूर्व सचिव सीमा सिंह का ट्रांसफर हुआ है। लेकिन बाकियों की फाइलें एलडीए में ही थीं, जिनके जलने की आशंका इसी आग में हैं।”
– “उनकी जांच में सारी गड़बड़ियों के मास्टर माइंड के रूप में कई बड़े नाम दिखे, जिसके बाद उन्होंने एक ही महीनें में कई तबादलें भी किए। जिसमें ज्वाइंट सेक्रेटरी छोटे लाल, समेत कई बड़े नाम शामिल रहे।”
– उन्होंने कहा “इस वक्त वीसी प्रभू नारायण सिंह ऐसे बड़े घोटालेबाजों से घिरे हुए हैं, जिसमें वो न चाहते हुए भी फंसते जा रहे हैं, क्येांकि वो सब चले गए जिन्होनें घोटालो को अंजाम दिया, लेकिन बाहर रहकर भी अपनीं घोटाले की फाइलों को ठिकाने लगानें का काम बाबुओं के जरिए करा रहे है।”
बिना कमेटी गठित किए ही 48 घंटे में ही आ गई जांच रिपोर्ट
– एलडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि- “आम तौर पर एलडीए अपनी सभी जांच कमेटी गठित करके उस पर विचार करके ही कार्यवाई करता है। लेकिन कमियों को छुपाने के लिए हड़बड़ाहट में विभाग ने 48 घंटे के भीतर वो भी छुट्टी के दिन आग लगने की जांच भी कर ली और रिपोर्ट भी सार्वजनिक कर दी।” इस पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
1- 48 घंटों में वो भी छुट्टी के दिन कैसे बिना कमेटी जांच पूरी हुई?
2- आग लगने के बाद किसी एक्सपर्ट को हायर क्यों नहीं किया गया?
3- बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा की हर जांच की वीडियो ग्राफी और कमेटी के द्वारा की गई थी, इतनीं बड़ी आग की जांच बिना वीडियोग्राफी क्यों?
4- पूर्व ओएसडी अम्बिसिंह बिस्ट को सिर्फ दो प्लाट होने की चेतावनी भर देकर जांच ठप क्यों ?
5- पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह की नजूल की जमीनो को एनओसी देने की बात सामने आनें पर कमेटी बनाकर जांच क्यों नहीं हुई?
6- अगर पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह व ओएसडी अम्बिसिंह बिस्ट के सम्बंध राजनीतिक परिवार से थे तो वीसी ने सरकार को लेटर इनकी जांच के लिए क्यों नहीं लिखा?
क्या था मामला, क्या थी रिपोर्ट
– एलडीए में 14अक्टूबर की देर रात चौथी मंजिल पर आग लगने से एलडीए में हड़कम्प मच गया था, आग शनिवार की सुबह करीब 2बजे के आस पास लगना बताया गया। जिसकी सूचना फायर ब्रिगेड को देर से दी गई।
– शनिवार को आफिस बंद था, वीसी प्रभू नारायण सिंह ने मीडिया पर रोक लगा दी थी, और जांच कराने की बात कही। मंडे को जांच रिर्पोट मीडिया के सामने देकर उन्होनें बताया कि- आग से कुल 153 फाइलें जली हैं जिनमें ज्यादातर फाइलें संपत्ति की हैं।
– फाइलें जलीं हैं उनका डाटा कम्प्यूटर में पहले से ही सेव किया जा चुका था। ऐसे में इन फाइलों के जलने से किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज की सूचनाएं गायब नहीं हुई हैं। चैथी मंजिल जहां आग लगी थी वहां आने की लिफ्ट के पास एक सीसीटीवी कैमरा काम कर रहा था। उसकी फुटेज भी चेक की गई है। फुटेज में किसी के आने-जाने का कोई प्रमाण नहीं मिला है।