भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का केंद्रीय नेतृत्व उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार की दलित विरोधी छवि बनने की आशंका से चिंतित है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा आलाकमान ने सीएम आदित्यनाथ को हिदायत दी है कि अगर वो पार्टी की छवि बचाने के लिए उचित कदम नहीं उठाते हैं तो उनके खिलाफ कड़ा फैसला लिया जा सकता है।
सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में पांच मई को दलितों और ठाकुरों के बीच हिंसा शुरू हुई जिसमें एक ठाकुर की मौत हो गई थी और दलितों के करीब दो दर्जन घर और फसलें जला दिए गए थे। उसके बाद से एक महीने में हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इलाके दलित हिंसा की घटनाओं के बाद बौद्ध धर्म स्वीकार करना शुरू कर चुके हैं। दलितों का आरोप है कि योगी आदित्य नाथ ठाकुरों को बचा रहे हैं कि क्योंकि वो भी ठाकुर हैं।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा आलाकमान को लग रहा है कि योगी आदित्य नाथ सरकार ने सहारनपुर हिंसा के मामले से सही से नहीं निपट सकी और दोनों समुदायों के बीच हिंसा बढ़ती गई। भाजपा आलाकमान मान रही है कि इसकी वजह योगी आदित्य नाथ का कम प्रशासनिक अनुभव है। भाजपा के एक सूत्र ने टेलीग्राफ को बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ को आलाकमान ने कह दिया है कि ये हिंसा दूसरे जिलों में नहीं फैलनी चाहिए।
पांच मई की हिंसा के बाद भीम आर्मी नामक दलित संगठन ने नौ मई को सहारनपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। 23 मई को बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती की बैठक से लौट रहे दलितों पर हमला किया गया जिसमें कई घायल हो गए।” मामले को बढ़ता देखकर योगी आदित्य नाथ सरकार राज्य के गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा और डीजीपी (कानून-व्यवस्था) आदित्य मिश्रा को दलितों और ठाकुरों के घर-घर जाकर मिलने के लिए भेजा था। दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के नेता शब्बीरपुर के आसपास के गांवों में जाकर दलितों और ठाकुरों के संग बैठकें कर रहे हैं। योगी सरकार ने शब्बीरपुर गांव में किसी भी नेता के बैठक या सभा करने पर रोक लगा दी है।