Friday, March 29, 2024
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अफसर ग्राउंड पर नहीं गए तो उन्हें घर तक छोड़कर आऊंगा

SI News Today

लखनऊ. यूपी के स्पोर्ट्स मिनिस्टर चेतन चौहान का कहना है कि अगले ओलंपिक में हमारे पास हर खेल में एक गोल्ड मेडल होगा। हम प्लेयर्स को खेलने का सामान, अच्छी क्वालिटी की कोचिंग और सही डाइट देंगे।  ”हम स्पोर्ट्स कोटे में 2% की जॉब हर डिपार्टमेंट में कम्पल्सरी कर प्लेयर्स का करियर बनाएंगे।” सख्त लहजे में चौहान ने कहा, ”जिन अफसरों की ताेंद कुर्सी पर बैठ-बैठकर बाहर निकल आई है, उन्हें ग्राउंड पर भेजकर खेल की मॉनिटरिंग कराऊंगा। अगर अफसर ग्राउंड पर नहीं जाते हैं तो उन्हें मैं खुद घर तक छोड़कर आऊंगा।”पढ़ें और क्या कहा चेतन चौहान ने…

1. क्या कोई नया स्पोर्ट्स स्टेडियम किसी जिले या राज्य में बनाना है?
– पिछली सरकार ने सिर्फ अपने फायदे के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बना दिया, लेकिन कोई सुविधाएं नहीं दी। सैफई में स्टेडियम बनाने के लिए 400 करोड़ लगाए। रामपुर में पहले से एक स्टेडियम था, उसे डेवलप करने के बजाए 78 करोड़ लगाकर दूसरा बनाया गया। उनकी मर्जी टेंडर निकालकर ज्यादा पैसा खर्च करने की रही, जबकि हमारी सुविधा देने की है।
2. कई खेल ऐसे हैं, जिनको यूपी सरकार की मान्यता ही नहीं है। ऐसे में टीम कैसे बनेगी?
– ताइक्वांडो, जूडो, साइकिलिंग जैसे कुछ खेल हैं, जिनके डेवलपमेंट में सबसे ज्यादा समस्या खेल संघों की ही है। वजह है कि यहां कई खेल संघ हैं, जो एक ही खेल के हैं। अब किससे बात की जाए, हर कोई आपस में लड़ रहा है। इसका सीधा असर खेल पर पड़ रहा है।
3. क्या आगे भी ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी?
– हमने साफतौर पर सभी खेलों से जुड़े पदाधिकारियों के साथ मीटिंग करने का डिसीजन लिया है। जल्दी ही ये मीटिंग कई भागों में बुलाई जाएगी, जिससे सबकी बात सुनी जा सके। हम उन्हीं खेलों को मानेंगे, जिन्हें उनके पैरेन्टल नेशनल एसोशिएशन ने यूपी के लिए मान्यता दी है। बाकी सब बाहर होंगे।
4. फिर सरकार का क्या काम है?
– सरकार पूरी तरह से खेलों के प्रति सजग है। कहीं कोई समस्या आने पर हमारा दखल होगा। हम हर लेवल पर मॉनिटरिंग करेंगे। सरकार के साथ मिलकर संघ भी खेलों के बढ़ावे के लिए काम करेगा। इससे यूथ को सामने आने का मौका मिलेगा। हम इंफ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंस में मदद करते हैं।

5. आगे आपका क्या प्लान है?
– हम नए स्टेडियम नहीं बनाएंगे। जो हैं, उन्हीं में सुविधाओं को बढ़ाएंगे। खेल के सामान में बढ़ोत्तरी करेंगे। खाने की डाइट बढ़ाएंगे। कोशिश करेंगे कि हर खिलाड़ी को कोच मिल सके। खेलने का सामान, खाने की अच्छी व्यवस्था और अच्छी कोचिंग से निखार आएगा।
6. आर्चरी, शूटिंग जैसे खेले ऐसे हैं, जिनमें अभी तक खिलाड़ी खुद के संसाधनों पर ही डिपेंड हैं?
– हम ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं, जिसमें कम से कम 5 खिलाड़ियों पर 1 धनुष और रायफल हो। इससे सामूहिक रूप से प्रैक्टिस की जा सकेगी। अभी तो हमारे डिपार्टमेंट में एक भी नहीं हैं। रायफल और धनुष काफी महंगे होते हैं, जिनका स्टार्टिंग रेट ही करीब 2 लाख रुप होता है। इसीलिए सामानों को हम खिलाड़ियों के लिए खुद खरीदकर रखेंगे। वे यहां आकर प्रैक्टिस कर सकते हैं।
7. खेलते वक्त बच्चे चोटिल हो जाते हैं। डिपार्टमेंट में फिजियोथेरेपी की क्या व्यवस्था है?
– खिलाड़ियों की ये बड़ी समस्या है। ये खिलाड़ियों के लिए दुर्भाग्य है कि अभी तक की सरकारों ने उनके इलाज तक की व्यवस्था नहीं की। वो बेचारे अपने पैसों से इलाज कराते हैं। हमने पूरे प्रदेश में स्पोर्ट्स ट्रीटमेंट सेंटर खोलने जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत लखनऊ से होगी। इसमें खिलाड़ियों का फ्री इलाज होगा। एक्स-रे मशीन, भी ला रहे हैं। सबके लिए बेहतरीन ट्रीटमेंट स्टेडियम में ही होगा।
8. अगले ओलंपिक में गोल्ड लाने का क्या प्लान है? कोई खास स्ट्रैटजी है?
– हम गोल्ड जीतने के बाद दिए जाने वाले करोड़ों रुपए को अभी से हर खिलाड़ी पर लगाएंगे, उन्हें फैसिलिटीज देंगे। इससे ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी वहां तक पहुंच सकेंगे। हमारे इस प्लान से हर खेल में 1 गोल्ड मेडल होगा।
9. यूपी में खेल को शौकिया तौर पर लिया जाता है, करियर के रूप में नहीं। ऐसा क्यों?
– हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र या बाकी राज्यों में खिलाड़ी के स्टेट लेवल पर पहुंचते ही खेल कोटे से नौकरी मिलना तय हो जाता है। यूपी में आज तक भर्ती ही नहीं हुई। 2% का कोटा है, लेकिन किसी डिपार्टमेंट में भर्ती के नाम पर 1 या 2 खिलाड़ियों को ही सिलेक्ट किया जाता है। ऐसे में यहां का खिलाड़ी अपना फ्यूचर खेल में क्यों बर्बाद करेगा। हमने इसको प्रोत्साहन देने के लिए 2% की भर्ती हर डिपार्टमेंट में अनिवार्य कर दी है।
10. ग्राउंड पर अच्छी कोचिंग के लिए क्या व्यवस्था है?
– हर कोच ग्राउंड पर बच्चों के साथ-साथ रहकर प्रैक्टिस कराएंगे। वो सही सिखा रहे हैं या नहीं, इसके लिए जिला खेल अधिकारी को भी ग्राउंड पर जाना होगा। रीजनल स्पोर्ट्स ऑफिसर भी हर खेल पर ग्राउंड में रहकर मॉनिटरिंग करेंगे। ये सब भविष्य की बातें नहीं हैं। 1 जून से ही ये चीजें लागू होंगी। ग्राउंड पर नहीं जाने वाले अफसर को मैं खुद घर तक छोड़कर आउंगा। ऐसे लोगों को स्टेडियम आने की जरूरत नहीं है।

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