Thursday, March 28, 2024
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रहीम के डेरे से शवों की भी बिक्री, लखनऊ भी भेजे गए 14 शव..

SI News Today

लखनऊ: साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में लंबी सजा पाने वाले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के काले कारनामों का चिट्ठा खुलता ही जा रहा है। उसके डेरे से शवों को भी बेचा जाता था।

राम रहीम के डेरे से 14 शव को लखनऊ में बेचा गया था। यह शव बिना डेथ सर्टिफिकेट के लखनऊ भेजे गए थे। अब राम रहीम पर शवों और मानव अंगों की अवैध तस्करी का आरोप लग रहा है। इन शवों के साथ न कोई डेथ सर्टिफिकेट था और न ही सरकार की अनुमति का पत्र।

दरअसल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम ने पिछले दिनों जीसीआरजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज निरिक्षण किया था, निरिक्षण के दौरान मेडिकल की पढ़ाई के लिए एक भी शव न मिलने पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद कॉलेज ने जनवरी से अगस्त के बीच 14 शव मंगाए। लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने कहा कि मार्च से जून के बीच यहां 14 डेड बॉडी आई थी। कागजात मांगे गए थे। डेड बॉडी परिवारीजनों के स्वीकृति पत्र देने के बाद सुपुर्द की गई है। इस संबंध में आईएमसी से रायसुमारी की जाएगी।

राम रहीम के डेरे से 14 शव को लखनऊ के बक्शी का तालाब क्षेत्र के जीसीआरजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज में भेजा गया था। एसएसपी दीपक कुमार के मुताबिक मार्च 2017 से जून माह तक करीब 14 शव जीसीआरजी में आए थे। इस बाबत छानबीन के दौरान शव को दान करने वाले लोगों का ब्योरा उपलब्ध मिला है। मामले की जांच की जा रही है। एसएसपी ने बताया कि जिन 14 लोगों के शव लखनऊ पहुंचे उनमें माया देवी, सुदेश रानी, उषा रानी, गुर्जंत सिंह, संत सिंह, सोना देवी, पुरण राम, सिल्मा सेवी, कोरनेल कौर, शीला, सुमेर सिंह, हरगोबिन्द, शांता देवी और राम देवी का शव शामिल है।

एसएसपी ने बताया कि शवों को दान करने वाले राम रहीम के अनुयायी हैं और डेरे से जुड़े हुए लोग हैं। इसके बारे में पूछताछ में जीसीआरजी कॉलेज के अधिकारियों ने कहा कि शवों का प्रयोग छात्रों के पढ़ाई और रिसर्च के लिए इस्तेमाल किया गया है। कॉलेज प्रशासन के पास से सभी कागजात बरामद किए गए हैं। अभी तक की जांच में पाया गया है कि परिवारीजन की स्वीकृति से ही शव दान किए गए हैं।

एसएसपी का कहना है कि वह इस प्रकरण में एमसीआइ की गाइड लाइन के बारे में पता लगाकर सलाह लेंगे। पुलिस नियम की जानकारी करेगी और कानून का उल्लंघन पाए जाने पर आरोपितों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

जीसीआरजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज के चेयरमैन सेवानिवृत पीसीएस अधिकारी ओमकार यादव के बेटे अभिषेक यादव हैं। इस मामले में कॉलेज के ट्रस्टी ओमकार यादव ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में आई सभी 14 डेड बॉडी डोनेशन में दी गई है। नेचुरल डेथ वाली बॉडी है। इनके लिए एसएसपी या किसी भी सरकारी अनुमति की जरुरत नहीं होती है। हमारे पास सभी शवों के डोनेशन पेपर हैं। अगर किसी कोई शक है तो वह इन कागजों की जांच करवा सकता है।

लाखों में बिकता है एक शव
मेडिकल कॉलेज में एनोटोमी की पढ़ाई के लिए शव की जरुरत होती है। जिसकी वजह से लावारिस शवों की खिरद-फरोख्त का धंधा खूब फलफूल रहा है। दरअसल तीन साल पहले आईएमसी की सख्ती के बाद मेडिकल कॉलेजों के लिए शवों को रखना जरुरी हो गया है। जिसके बाद से बिना पोस्टमार्टम के शवों की डिमांड बढ़ गई है। तीन साल पहले दक्षिण भारत के रसूखदार व्यक्ति की मौत फैजाबाद रोड पर सड़क हादसे में हो गई थी।

शव को लावारिस मानकर एक निजी कॉलेज को बेच दिया गया था। उसकी बाद में शिनाख्त होने पर वापस मंगवाकर मोर्चुरी में रखा गया था। लावारिस लाशों के खरीद फरोख्त में ज्यादातर मामले सड़क हादसों से जुड़े हैं। पुलिस की मिलीभगत से इन शवों का धंधा होता है।

पुलिस ने की छानबीन
बताया जा रहा है कि राम रहीम के डेरे में पड़ताल के दौरान पुलिस को लखनऊ शव भेजे जाने के कागजात बरामद हुए। इसके बाद डेरे का लखनऊ कनेक्शन सामने आया।

राजधानी पुलिस को जैसे ही मामले की जानकारी हुई टीम चंद्रिका देवी रोड पर जीसीआरजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज रवाना कर दी गई। पुलिस ने शवों के बारे में छानबीन की। पड़ताल में पुलिस को कुछ कागजात और शव भेजने वाले लोगों की स्वीकृति पत्र दिखाए गए हैं। चर्चा है कि हरियाणा से लखनऊ भेजे गए शवों के साथ डेथ सर्टिफिकेट नहीं थे। पुलिस ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है।

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