लखनऊ: गोमती नगर के विश्वास खंड निवासी रिटायर्ड आइएएस अधिकारी राजेंद्र प्रताप सिंह के घर पर सतर्कता अधिष्ठान की टीम ने छापेमारी की। राजेंद्र सिंह के खिलाफ मेरठ में अपर नगर आयुक्त के पद पर रहते हुए नियम के खिलाफ कार्य कर गड़बड़ी करने का आरोप है। नगर आयुक्त की अनुपस्थिति में राजेंद्र के पास कई बार चार्ज रहा है। चार अगस्त, 2008 को सतर्कता अधिष्ठान के इंस्पेक्टर प्रहलाद सिंह ने देहली गेट थाने में कमेला का ठेका देने, उसके आधुनिकीकरण की शर्तों का उल्लंघन कर निगम को करोड़ों का नुकसान करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
सतर्कता अधिष्ठान की टीम ने बताया कि स्लाटर हाउस का ठेका नियमों के विपरीत दे दिया गया था। आरोप है कि इसमें लाखों रुपये का खेल किया गया। मामला उजागर होने के बाद एफआइआर दर्ज की गई थी। टीम ने मामले की जांच शुरू की तो अन्य लोगों की भूमिका भी उजागर हुई। टीम में शामिल विजिलेंस के इंस्पेक्टर केएस चौहान, एसएल प्रेमी और भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि जांच में राजेंद्र की भूमिका पाई गई है। राजेंद्र की तलाश में वह लोग लखनऊ आए थे। टीम ने गोमतीनगर थाने में संपर्क किया और दबिश के लिए पुलिस मांगी। इसके बाद गोमतीनगर पुलिस के साथ छापेमारी की गई। टीम पूछताछ के लिए रिटायर्ड आइएएस अधिकारी के नौकर को थाने लेकर भी आई थी, जहां बाद में उसे छोड़ दिया गया।
तो घर में मौजूद थे राजेंद्र
पुलिस सूत्रों के मुताबिक टीम ने जब छापेमारी की तो राजेंद्र घर में मौजूद थे, हालांकि उनकी अवस्था और तबीयत ठीक नहीं होने के कारण टीम ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। इस मुकदमे में रिटायर्ड आइएएस अधिकारी तेजपाल सिंह व राजेंद्र प्रताप सिंह, रिटायर्ड पीसीएस अफसर अनिल कुमार शर्मा तथा विजय बहादुर सिंह, जगवीर सिंह, संतोष कुमार शुक्ला और ठेकेदार मो. यूनुस के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुआ था। आरोप है कि 18 नवंबर 1992 को आधुनिक पशुवधशाला के निर्माण और संचालन के लिए 10 वर्ष तक के लिए जो ठेका छोड़ा गया, उसमें धांधली की गई। आरोपितों ने नियम के खिलाफ ठेका जारी कर दिया था, जिसमें लाखों रुपये का खेल किया गया।