लखनऊ: केजीएमयू के बाल रोग विभाग में कैंसर पीड़ित बच्ची को एडमिट नहीं करने और परिजनों के साथ अभद्रता करने का मामला सामने आया है। परिजनों का आरोप है कि जूनियर डॉक्टरों ने उनके साथ अभद्रता करते हुए पेशेंट को बाहर निकाल दिया गया। घरवालों ने डॉक्टरों से पेशेंट को एडमिट करने के लिए काफी मिन्नतें भी की, लेकिन उन्होंने एक न सुनी। बेटी का पिता उसे गंभीर हालात में लेकर बाल रोग विभाग की सीढ़ियों पर बैठा रोता रहा। वह डॉक्टरों के आगे गिड़गिड़ाता रहा। काफी देर बाद भी जब डॉक्टरों ने बच्ची को एडमिट नहीं किया तो घरवाले उसे लेकर गोद में लेकर वहां से चले गए। आगे पढ़िए क्या है पूरा मामला…
-बहराइच निवासी लकी तिवारी (12) को कैंसर होने की शिकायत पर बेहतर इलाज के लिए उसके अटेंडेंट रविवार को केजीएमयू में इलाज कराने के लिए लेकर आए थे। बच्ची को ट्रॉमा सेंटर के बाल रोग विभाग की इमरजेंसी में भर्ती कराया था।
-यहां पर कुछ दिन इलाज के बाद हालत में कुछ सुधार होने पर बाल रोग विभाग के वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।
-परिजनों का आरोप है कि कैंसर पीड़ित पेशेंट का इलाज किया जा रहा था, लेकिन गुरुवार से हालत बिगड़ने पर लगातार जांच कराने और दवा बदल-बदल कर मंगाया जा रहा था।
-सुबह हालत ज्यादा बिगड़ने परिजनों ने डॉक्टरों से कई बार बेटी की हालत की जानकारी मांगी। डॉक्टर लगातार बदल-बदल कर दवा मांग रहे थे। अटेंडेंट्स के बच्ची की हालत के बारे में पूछने पर डॉक्टर भड़क गए।
-जूनियर डॉक्टरों ने कि उसको ब्रोन हेमरेज हो गया है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने अपने कमरे में बुला कर उनके साथ अभद्रता करते हुए कोरे कागज पर हस्ताक्षर करा दिए आैर पेशेंट को बाहर निकाल दिया।
-डॉक्टरों ने फरियाद की गई, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार वे बेटी को लेकर बाल रोग विभाग के बाहर सीढ़ियों पर ले कर आ गए। वही घर के अन्य लोग जूनियर डॉक्टर से वापस बच्ची को एडमिट करके इलाज करने की गुहार कर रहे थे।
-आखिरकार कोई सुनवाई न होने पर अटेंडेटस वहां से अपनी बेटी को गोद में लेकर सीएमएस ऑफिस की तरफ चले गए।
केजीएमयू प्रशासन ने कहा
-केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार के ये मामला उनके संज्ञान में नहीं है। न ही इस तरह की उनके पास कोई शिकायत ही आई है। अगर कोई शिकायत आती है तो जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी।